रायपुर। देश भर में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन गई है. भ्रष्टाचार का दीमक देश को धीरे-धीरे खोखला करते जा रहा है. सरकारी कर्मचारी और अधिकारी किस तरह भ्रष्टाचार करते हैं और कैसे निर्माण कार्यों में घटिया निर्माण कार्य के लिए ठेकेदार मजबूर किये जाते हैं. इसकी बानगी प्रदेश के एकमात्र पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में देखने को मिल रही है. यहां एक जूनियर अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार और मनमानी किये जाने का मामला सामने आया है. जूनियर अधिकारी की मनमानी को लेकर वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी शिकायत विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव से भी की.

यह है मामला

कामधेनू विश्वविद्यालय द्वारा बिलासपुर और दुर्ग में एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग सहित करोड़ों रुपये के कई निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं. जिसमें बिलासपुर में कॉलेज बिल्डिंग, आडिटोरियम और बॉयज हास्टर बिल्डिंग, गर्ल्स हॉस्टल एफजीएच टाइप क्वार्टर्स एंड टीवीसीसी बिल्डिंग, गिर बुल मदर फार्म बिलासपुर, दुर्ग के अंजोरा में रिसर्च टावर बिल्डिंग, एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग अंजोरा, कॉलेज बिल्डिंग का एक्सटेंशन का कार्य शामिल है. दुर्ग में दिसंबर 2016 और बिलासपुर में जुलाई 2017 में कार्य की शुरुआत हुई. दुर्ग में 4 और बिलासपुर में 3 ठेकेदारों द्वारा यह कार्य किया जा रहा है. यह पूरा निर्माण विश्वविद्यालय की निर्माण शाखा की देखरेख में चल रहा है. आरोप है कि यहां पदस्थ सब इंजीनियर हिमालय थवानी नियम विरुद्ध तरीके से अपने चहेते ठेकेदारों का बिल पास कर दिये. वहीं कुछ ठेकेदारों का बिल कई-कई महीने जानबूझकर रोक कर रखा. इससे पहले ठेकेदारों द्वारा ईई के सामने बिल पास करने की गुहार लगाने के बाद यहां पदस्थ ईई एसके अग्रवाल द्वारा थवानी को ठेकेदारों के कार्यों से संबंधित एमबी व बिल इत्यादि प्रस्तुत करने का आदेश दिया लेकिन उन्होंने उसे अनसुना कर दिया. जिसके बाद उन्होंने थवानी को दो-दो पत्र विस्तार में लिखे और इसकी प्रतिलिपि विश्वविद्यालय प्रबंधन को भी भेजी. अग्रवाल यहां दिसंबर 2018 से 26 अगस्त 2019 तक ईई के पद पर पदस्थ थे.

अग्रवाल ने लिखी था कड़ी टीप्पणी

सब इंजीनियर हिमालय थवानी की मनमानी को लेकर ईई अग्रवाल ने उन्हें कड़ा पत्र लिखा था. उन्होंने थवानी को 21 अगस्त और 26 अगस्त 2019 को अलग-अलग पत्र लिखा गया, जिसकी प्रतिलिपि उनका द्वारा कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार को भी भेजी गई. जिसमें उन्होंने जिक्र किया है कि ठेकेदारों द्वारा भुगतान न होने की शिकायत बार-बार की जा रही है. भुगतान के लिए उनके द्वारा सब इंजीनियर हिमालय थवानी से माप पुस्तिका(MB)/ देयक पुस्तिका/ देयक प्रस्तुत नहीं किये जाने की वजह से संबंधित कार्यों की भुगतान की कार्रवाई लंबित पड़ी है. कुछ ठेकेदारों का भुगतान सात माह से भी ज्यादा समय से अटका पड़ा था.

ईई अग्रवाल ने लिखा, “ठेकेदार द्वारा कई चरण में विभिन्न निर्माण कार्यों का संपादन किया गया है, जिसके लिए समय-समय पर चरणबद्ध क्रम से मापांकन की कार्रवाई किया जाना होता है. जिसके लिए आपको मौखिक रुप से बार-बार कहा गया, ठेकेदार द्वारा भी आप से अनुरोध किया गया. आपके द्वारा मापांकन की कार्यवाही उपरांत माप पुस्तिका तथा संबंधित देयक पुस्तिका एवं देयक इस कार्यालय को प्रस्तुत नहीं की गई है. जिससे स्पष्ट है कि या तो आपके द्वारा मापांकन की कार्यवाही समय-समय पर नहीं की गई है. (जो कि गंभीर त्रुटि, लापरवाही दर्शित होती) यदि की गई है तो माप पुस्तिका एवं देयक का प्रस्तुतिकरण क्यों नहीं किया गया. आपका यह कृत्य अपनी मनमर्जी अनुसार कार्य करने की प्रवृत्ति, लापरवाही एवं अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है.”

इसके साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है, “भविष्य में होने वाली किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति या भुगतान में किसी भी तरह का अवरोध होने की परिस्थिति आप स्वयं पूर्ण रुपये जिम्मेदार होंगे. साथ ही भविष्य में होने वाली किसी भी तरह की कार्यवाही हेतु आप पूर्णरुपेण जिम्मेदार होंगे.” लल्लूराम डॉट कॉम के पास इस नोटशीट और पत्र की कॉपी उपलब्ध है.

बगैर सक्षम अधिकारी के जांच के आनन-फानन में किया भुगतान

ईई अग्रवाल का 9 अगस्त को  ट्रांसफर हो कर अपने मूल विभाग में चले गए. उनके स्थान पर जल संसाधन विभाग के एसके जाधव फिर 6 सितंबर को महेश शर्मा की नियुक्ति की गई. इस दौरान महेश शर्मा के चार्ज लेने से पहले जाधव विदा हो गए और विश्वविद्यालय ने एक प्रोफेसर को अस्थाई चार्ज दे दिया. बताया जा रहा है कि जो बिल कई माह से लटका कर रखे गए थे उन्हें आनन-फानन में पास कर कुछ ठेकेदारों के बिल का भुगतान भी कर दिया गया. गौरतलब है कि जिस जूनियर इंजीनियर हिमालय थवानी ने माप पुस्तिका, देयक पुस्तिका और देयक बनाई, उसी को एसडीओ बना दिया गया. जिससे उसने अपने ही कार्य को वेरीफाई कर बिल भुगतान कर दिया.

मुझे जानकारी नहीं- रजिस्ट्रार

उधर इस मामले में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ पीके मरकाम ने कहा कि तत्कालीन ईई अग्रवाल द्वारा की गई टीप की फाइल कुलपति के पास पुटअप है. अभी उसमें कोई बात नहीं आई है, जो भी डिसीजन होगा वो बाद में आएगा. थवानी को एसडीओ का अतिरिक्त प्रभार देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हां सही है कि उन्हें अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जो एसडीओ पहले थे वो सस्पेंड चल रहे हैं. वहीं थवानी द्वारा जो कार्य का एमबी, बिल बनाया गया था उसे वो ही वेरिफाई कर जांच कर बिल भुगतान की कार्रवाई कर रहे हैं. जिसके जवाब में रजिस्ट्रार मरकाम ने कहा कि अभी यह जानकारी मुझे नहीं है, जब से उन्हें चार्ज दिया गया है उसके बाद भुगतान का क्या स्टेटस है और भुगतान हो रहा है कि नहीं, इसकी जानकारी मुझे नहीं है. जानकारी उनके द्वारा नहीं दिया जाता है, मंथली रिपोर्ट जब प्रस्तुत करेंगे तभी इसकी जानकारी होगी की भुगतान हो रहे हैं कि नहीं.

कमीशन मांगने का भी ऑडियो

लल्लूराम डॉट कॉम के पास एक ऑडियो क्लिप मौजूद है. जिसमें बिल भुगतान के एवज में डेढ़ लाख रुपये की कमीशन की डिमांड की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि इसमें आवाज एक अधिकारी की है. इसके साथ ही उक्त अधिकारी का वीडियो होने का भी दावा किया जा रहा है.