CG News: रायपुर/बिलासपुर. नवा रायपुर स्थित कमर्शियल कोर्ट ने गुरुवार को बिलासपुर की सिटी बस सेवा से जुड़े बहुचर्चित विवाद में अहम फैसला सुनाया है. जज पंकज शर्मा की अदालत ने धारा 9 मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 के तहत सन मेगा वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें बिलासपुर जिला नगरीय सार्वजनिक सेवा समिति की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी. समिति ने 50 लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि जब्त कर ली है. कंपनी ने अदालत से मांग की थी कि समिति उसके 50 लाख रुपए की सिक्योरिटी डिपॉजिट को न तो जब्त करे और न ही खर्च करे, जब तक मध्यस्थ न्यायाधिकरण मामले का निपटारा न कर दे. अदालत ने यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छिपाया और ‘क्लीन हंड्स’ से कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया.


क्या है पूरा मामला
साल 2022 में नगरीय बस सेवा संचालन व रखरखाव के लिए टेंडर निकला था. इसमें सन मेगा वेंचर्स सफल बोलीदाता बना और दिसंबर 2022 को एलओआई और जनवरी 2023 को अनुबंध हुआ. शर्तों के मुताबिक 50 बसें संचालन के लिए सौंपी जानी थीं, लेकिन कंपनी को 40 बसें ही दी गई. कंपनी का आरोप था कि समिति ने कई अनुबंधीय दायित्व, जैसे-बीमा व पंजीयन की राशि की अदायगी, विज्ञापन से होने वाली आय का बंटवारा, परमिट जारी कराने में सहयोग, इत्यादि नहीं पूरे किए. कंपनी का कहना था कि उसे करोड़ों का नुकसान हुआ है और अब समिति ने एकतरफा तरीके से करार समाप्त कर 50 लाख रुपए की सिक्योरिटी जब्त करने की घोषणा कर दी है.
- समिति की दलील
समिति की ओर से एडवोकेट अनादि शर्मा ने कहा कि कंपनी ने बार-बार अनुबंध का उल्लंघन किया. 40 बसों के एवज में 1.38 करोड़ रुपए की एडवांस भुगतान मिलने के बावजूद वह सिर्फ 18 बसें ही चला रही थी. कई गाड़ियां बिना बीमा, परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के सड़कों पर दौड़ाई गईं, जिससे यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ी, हाईकोर्ट को भी स्वतः संज्ञान लेना पड़ा. समिति ने बताया कि बीते दो सालों में कंपनी को कई नोटिस दिए गए और आखिरी नोटिस 11 अगस्त 2025 को दिया गया, जिसे कंपनी ने लिया मगर सुधारात्मक कदम नहीं उठाए.
बसें चलाने में गंभीर चूक
कोर्ट ने पाया कि कंपनी ने अपने आवेदन में कई तथ्य छिपाए, खासकर यह कि उसे 11 अगस्त का अंतिम नोटिस मिल चुका था. इसके अलावा, कंपनी ने अनुबंध के अनुसार बसें चलाने में गंभीर चूक की और बीमा भुगतान में भी लापरवाही बरती. अदालत ने कहा कि 50 लाख की परफॉर्मेंस सिक्योरिटी एक फिक्स्ड रकम है, जिसे अगर अनुबंध उल्लंघन पर जब्त किया जाता है तो उसे बाद में मध्यस्थता प्रक्रिया में कंपनी को वापस दिलाया जा सकता है. इसलिए इसे ‘अपूरणीय क्षति’ नहीं माना जा सकता.
नगरीय बस सेवा प्रभावित
साथ ही कोर्ट ने माना कि, यह मामला सार्वजनिक हित से जुड़ा है, क्योंकि फिलहाल बिलासपुर की नगरीय बस सेवा पूरी तरह से प्रभावित है और हाईकोर्ट पहले ही इस पर निगरानी रख रहा है. समिति ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर आश्वासन दिया है है कि, जब्त राशि से बसें दुरुस्त कर फिर से सड़कों पर उतारी जाएंगी. कोर्ट ने कहा कि कंपनी ने न तो मजबूत प्रथम दृष्टया केस बनाया और न ही उसके पक्ष में बैलेंस ऑफ कन्वीनियंस या अपूरणीय क्षति साबित हुई. इसलिए उसकी अंतरिम राहत की मांग खारिज की जाती है.