अलवर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की युवती से यौन शोषण के आरोप में अलव सेंट्रल जेल में बंद फलाहारी बाबा पर अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या 1 राजेंद्र शर्मा ने सोमवार को आरोप तय किए. इस दौरान फलाहारी बाबा को भी कोर्ट में पेश किया गया.
अपर लोक अभियोजक योगेंद्र सिंह खटाना ने बताया कि कोर्ट ने बचाव पक्ष और अभियोजन की दलील सुनने के बाद पुलिस जांच के आधार पर चालान में लगाई गई धाराओं के मुताबिक फलाहारी बाबा पर आरोप तय करते हुए चार्ज लगाया है.
फलाहारी बाबा के वकील की ओर से इंडियन पीनल कोड की धारा 376 सी में चार्ज लगाने का आवेदन किया गया, लेकिन कोर्ट ने धारा 376 (2) (च) और 506 के तहत आरोप तय किए हैं. इस मामले में पीड़ित युवती के बयान कोर्ट में 19 फरवरी 2018 को दर्ज होंगे.
फलाहारी बाबा को कितनी हो सकती है सज़ा?
अगर कोर्ट फलाहारी बाबा के वकील का आवेदन स्वीकार कर धारा 376 सी में आरोप तय करती है, तो आरोप साबित होने की स्थिति में फलाहारी बाबा को कम से कम 5 साल की जेल हो सकती है. वहीं अधिकतम 10 साल की जेल और जुर्माने की भी सज़ा हो सकती है.
चूंकि कोर्ट ने धारा 376 (2) (च) और 506 के तहत चार्ज लगाया है, इसलिए इन धाराओं में आरोप साबित होने पर कम से कम 10 साल के कठोर कारावास और अधिकतम सज़ा के रूप में आजीवन कारावास तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
पिछले साल यौन शोषण के मामले में फलाहारी बाबा आए थे सुर्खियों में
बता दें कि कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी यानि फलाहारी बाबा तब सुर्खियों में आ गए थे, जब छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की एक युवती ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. इसके बाद 23 सितंबर को फलाहारी बाबा को अलवर के मधुसूदन सेवा आश्रम से गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक बाबा ने उसे रात को अपने कमरे में बुलाया और उसके साथ रेप किया.
फलाहारी बाबा का पूरा नाम जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी फलाहारी महाराज है. वो रामानुज संप्रदाय के साधु माने जाते हैं. राजस्थान के अलवर में इनका वेंकटेश दिव्य बालाजी धाम आश्रम है.