रोहित कश्यप, मुंगेली। फास्ट ट्रैक कोर्ट मुंगेली ने दुष्कर्म मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सोम की अदालत ने रिश्ते के नाना मोहन जोशी (उम्र 62 वर्ष) को अपनी ही मूक-बधिर नातिन के साथ दुष्कर्म का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 2000 रुपये अर्थदंड लगाया। इसके अलावा अदालत ने पीड़िता के पुनर्वास के लिए 5 लाख क्षतिपूर्ति की अनुशंसा भी की है।

यह मामला थाना फास्टरपुर क्षेत्र का है, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया था। मामला सत्र प्रकरण क्रमांक 23/2024, दांडिक प्रकरण क्रमांक 1264/2024 “छ.ग. राज्य विरुद्ध मोहन जोशी” के रूप में दर्ज किया गया था। घटना 21 फरवरी 2024 की है। दोपहर करीब 12 बजे पीड़िता घर में अकेली थी। उसके माता-पिता खेत गए थे। पति लोरमी में एक्टिवा की किश्त भरने गया था और बच्चे स्कूल गए थे। इसी दौरान मोहन जोशी, जो पीड़िता का रिश्ते का नाना बताया गया है, मोटरसाइकिल से घर पहुंचा। उसने पीड़िता से पानी मांगा और जब वह अंदर गई तो दरवाजा अंदर से बंद कर जबरदस्ती दुष्कर्म किया।

इशारों में छलका दर्द, मूक-बधिर पीड़िता ने बताया सब कुछ

पीड़िता जन्म से ही श्रवण एवं वाक् दिव्यांग है। पति के घर लौटने पर उसने इशारों से पूरी घटना बताई। इसके बाद पीड़िता के पति ने तत्काल थाना फास्टरपुर जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर अपराध दर्ज हुआ। जांच के दौरान मूक-बधिर विशेषज्ञ की सहायता से पीड़िता से फोटो पहचान कराई गई, जहां उसने आरोपी के फोटो की पहचान कर इशारों में बताया
कि यही वही व्यक्ति है, जिसने गलत काम किया था।

न्यायालय में सुनवाई , अभियोजन पक्ष ने रखे ठोस साक्ष्य

अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक रजनीकांत सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने अदालत के समक्ष पीड़िता के इशारों में दर्ज बयान, मेडिकल रिपोर्ट और घटनास्थल से प्राप्त साक्ष्यों को प्रस्तुत किया। अदालत ने सभी साक्ष्यों को विश्वसनीय और प्रमाणित मानते हुए अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(ठ) सहित संबंधित धाराओं में दोषसिद्ध पाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सोम ने अपने निर्णय में कहा, ऐसे अपराध समाज के नैतिक ताने-बाने को झकझोर देते हैं। विशेषकर तब, जब अपराधी स्वयं पीड़िता का परिजन हो। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि कानून के सामने किसी का रिश्ता, उम्र या स्थिति ढाल नहीं बन सकती। न्याय के तराज़ू में सिर्फ अपराध का वजन देखा जाता है। अदालत ने कहा कि यह निर्णय न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने का माध्यम है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि रिश्ते के नाम पर अपराध करने वालों के लिए कानून में कोई रियायत नहीं है।

मानवता और न्याय की मिसाल

यह फैसला मुंगेली फास्ट ट्रैक कोर्ट के इतिहास में एक संवेदनशील और निर्णायक निर्णय के रूप में दर्ज होगा। अदालत ने शासन को निर्देशित किया है कि पीड़िता को 5 लाख क्षतिपूर्ति राशि शीघ्र प्रदान की जाए, ताकि उसके पुनर्वास और चिकित्सा में सहायता मिल सके। मुंगेली फास्ट ट्रैक कोर्ट का यह निर्णय न केवल कानून की दृढ़ता का उदाहरण है, बल्कि यह समाज के हर व्यक्ति को यह याद दिलाता है कि “न्याय देर से सही, लेकिन अवश्य मिलता है।”