रायपुर. कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य में पीएम केयर्स फंड के माध्यम से स्थापित पीएसए संयंत्रों का ठीक तरह से रखरखाव नहीं किया जा रहा है. इस तरह की मीडिया रिपोर्ट भ्रामक और गलत हैं. लेकिन इन तथ्यों को पीआईबी ने गलत और भ्रामक बताया है.
पीआईबी ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न स्रोतों से 122 पीएसए संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से 49 संयंत्रों को पीएम केयर्स के तहत स्थापित और चालू कर दिया गया है. पीएसए संयंत्र के 1000 घंटे चलने के बाद पीएसए संयंत्रों में चिकित्सा स्तर की ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए अवशोषक खनिज सामग्री (जिओलाइट) को बदलने की जरूरत होती है. उद्योग के नियमों के अनुसार जिओलाइट के उपयोग की अवधि 3-5 साल होती है और इसके बाद ही बदला जाना चाहिए. इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा धनराशि स्वीकृत कर दी गई है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में लगाए गए आक्सीजन प्लांट को मेंटेन करने के लिए पैसा नहीं मिलने पर भाजपा ने राज्य सरकार को घेरा था. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा था कि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के प्रति दुराग्रह की राजनीति पर उतर आई है. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री केयर फंड के 49 आक्सीजन प्लांट के मेंटेनेंस के लिए सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
उन्होंने ये भी कहा था कि आक्सीजन प्लांट की देखरेख नहीं होने से प्रदेशभर के लोगों को यह चिंता हो रही है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को प्रदेश सरकार किस तरह काबू पाएगी?