बरेली. राज्य मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा था कि गाय के मूत्र में गंगा बसती है. गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है. वहीं आए दिन सोशल मीडिया पर गोमूत्र पीने का वीडियो वायरल होते रहते हैं. इस बीच गोमूत्र को लेकर बड़ा खुलासा हुआ हुआ है. गोमूत्र मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाया गया है. इसमें हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं. देश की प्रमुख पशु अनुसंधान संस्था बरेली स्थित आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि भैंस का मूत्र कुछ बैक्टीरिया पर अधिक प्रभावी था.
तीन पीएचडी छात्रों के साथ संस्थान के भोज राज सिंह के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि स्वस्थ गायों और बैलों के मूत्र के नमूनों में एस्चेरिचिया कोलाई की उपस्थिति के साथ कम से कम 14 प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जो पेट में संक्रमण का कारण बन सकते हैं. शोध के निष्कर्ष ऑनलाइन रिसर्च वेबसाइट रिसर्चगेट में प्रकाशित किए गए हैं. संस्थान में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख भोजराज सिंह ने कहा, गाय, भैंस और मनुष्यों के 73 मूत्र के नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि भैंस के मूत्र में जीवाणुरोधी गतिविधि गायों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर थी. भैंस का मूत्र एस एपिडर्मिडिस और ई रैपोंटिसी की तरह बैक्टीरिया पर काफी अधिक प्रभावी था.
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उन्होंने कहा, हमने स्थानीय डेयरी फार्मों से तीन प्रकार की गायों साहीवाल, थारपारकर और विंदावानी (क्रॉस ब्रीड) के मूत्र के नमूने एकत्र किए, साथ ही भैंसों और मनुष्यों के नमूने भी लिए. यह शोध पिछले साल जून व नवंबर के बीच किया गया. शोध के निष्कर्षो के मुताबिक यह धारणा सही नहीं है कि गोमूत्र जीवाणुरोधी होते हैं.
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