पंकज भदौरिया, दंतेवाड़ा। किसी भी देश की बुनियाद उसके नागरिक होते हैं, और अच्छे नागरिक वही बनते हैं, जिनके बचपन की बुनियाद मजबूत होती है. मगर दंतेवाड़ा जिले के अंदुरुनी इलाको में बचपन नक्सलवाद के दंश और सरकार की मूलभूत सुविधाओं की उपेक्षाओं की मार आज भी 21वीं सदी में झेल रहा है. इन सब विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति, इरादे और संवेदनशीलता की जरूरत है, जो सीआरपीएफ 111 बटालियन अरनपुर कैम्प में तैनात अजय कुमार मिश्रा में नजर आई.

अरनपुर इलाके में ये अधिकारी जहां तैनात हुए. वहीं आस-पास के गरीब आदिवासी बच्चों की छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने की कोशिश की. उन्होंने निर्धन बच्चों को स्कूली बस्ते, चप्पल, पहाड़े बांटे और उन्हें पढ़कर देश का भविष्य गढ़ने की प्रेरणा दिया. बच्चों को अपने बीच बैठाकर उन्हें भोजन नाश्ता भी करवाया. अधिकारी कीये ऐसी सोच अनुकरणीय है.

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बस्तर के बच्चे गरीबी के अभाव में बद्दतर जीवन जीने को मजबूर हैं. क्योंकि सरकार का सिस्टम कागजों में जिस तेज रफ्तार से दौड़ता है, जमीनी हक़ीक़त इससे कोसो दूर है. दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर इलाके में बुरगुम, नहाड़ी, नीलवाया, पोटाली जैसे दर्जनों ऐसे गांव है, जहां बच्चे अभाव में जीवन व्यतीत कर रहे. तन पर कपड़े नहीं और भूख से पेट बदहाल दिखता है.

ऐसे हालातों में सीआरपीएफ के एक अधिकारी की यह मदद इन बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बहुत ही अच्छी पहल है. इससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए.