गर्मी आते ही आप बाजार में आपने लाल-लाल तरबूज तो देखें होंगे पर आजकल कई फल दुकानों में खूबसूरत पीले तरबूज भी देखने को मिल रहे है. इसका स्वाद मीठे पाइनेप्पल जैसा लगता है. देखने में यह कोई विदेशी फल जैसा लगेगा पर है ये देशी तरबूज ही है. जैविक खेती होने के कारण यह सेहत के लिए भी ज्यादा फायदेमंद है.
इस तरबूज में न्यूट्रिशन वैल्यू और माइक्रो न्यूट्रिशन आम तरबूज से काफी ज्यादा होते हैं. इसमें बीटा केरोटीन का अच्छा स्रोत होने से आम तरबूज से ज्यादा स्वादिष्ट और फायदेमंद है. बीटा केरोटीन कैंसर से बचाता है, आंखों को बीमारियों से दूर रखता है. खास तौर से इस फल के बीज ताइवान से मंगाए जाते है. आम बीज की तुलना में इसके बीज 5 गुना महंगे होते है.
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक हाइब्रिड वेराइटी के बीज लगाने से बाहर हरा तरबूज लेकिन अंदर पीला निकलता है. वही इसकी विशाला वेराइटी के बीज लगाने से बाहर पीला और अंदर लाल होता है. ये दोनों वेराइटी के बीज ताइवान से आते हैं. जहां आम बीज 10 से 20 हजार रुपए किलो है, वहीं इसके बीज 85 हजार रुपए किलो पड़ रहा है. आम तरबूज एक एकड़ में 12-13 टन उपजता है, वहीं यह 10 टन उपजता है. खुदरा में भले 40 रुपए किलो बिक रहा, लेकिन थोक में 15 से 20 रुपए किलो है.
ये फल झारखंड राज्य में पहली बार हुआ है. रांची के फल बाजार में इस पीले तरबूज की खूब डिमांड है. खूंटी के तोरपा के कई गांवों में ट्रायल के तौर पर इसे लगाया गया था और इसमें काफी अच्छे फल आए हैं, तोरपा ब्लॉक के सरिदकेल गांव और सोंदारी गांव के उलुहातू टोली में 16 महिला किसानों के 10.5 एकड़ खेतों में इसे उगाया गया है.
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