रायपुर. डागा कॉलेज का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. डागा कॉलेज प्रबंधन ने प्रभारी प्राचार्य प्रोफ़ेसर डीके दुबे के खिलाफ दबंगई करने का आरोप लगाया था. इस आरोप को प्रोफ़ेसर दुबे ने आड़े हाथों लिया है. इस आरोप को प्रोफ़ेसर दुबे ने लिखित बयान में निराधार बताया. साथ ही कॉलेज में दबंगई करने के आरोप का सिरे से खंडन किया. सिर्फ आरोप का खंडन ही नहीं बल्कि प्रोफ़ेसर दुबे ने इस बार प्रबंधन पर ही दबंगई करने और षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है. प्रोफ़ेसर दुबे ने अपने हस्ताक्षरित एक विज्ञप्ति में कहा कि डागा कॉलेज प्रबंधन विभागीय जांच से बचने षड्यंत्र रच रही है. साथ ही प्रबंधन उनके खिलाफ दबंगई कर रही है.

प्रोफ़ेसर दुबे ने सिलसिलेवार प्रबंधन पर कई आरोप लगाये. प्रभारी प्राचार्य दुबे ने कहा कि कॉलेज कोड 28 के अंतर्गत भाग 3 की कंडिका जो शासी निकाय कहलाती है, जिसमें प्राचार्य पदेन सचिव होता है. और नियमतः उसे ही शासी निकाय की बैठक बुलाने का अधिकार है. विगत 29 नवम्बर की बैठक अध्यक्ष ने बगैर प्राचार्य की सहमति के हस्ताक्षर के व बिना सूचना दिए बैठक बुला ली. जोकि अनाधिकृत बैठक है. व उसके निर्णय भी अविधिक और अवैध है. इसकी शिकायत स्वयं अध्यक्ष, कुलसचिव, कुलपति व उच्च शिक्षा सचिव से की गई है. साथ ही इसकी शिकायत ज्ञापन उच्च शिक्षा मंत्री को भी दिया गया है. जिस पर अध्यक्ष की ओर से अभी तक कोई लिखित जवाब नहीं आया.

प्रोफ़ेसर दुबे ने प्रबंधन के मुताबिक नियुक्त नई प्रिंसिपल के खिलाफ भी कई आरोप लगाये. प्रोफ़ेसर दुबे ने लिखित में यह बात कही कि डॉक्टर संगीता घई 1992 से तदर्थ रूप से व्याख्याता रही है. 2003 में उनकी नियुक्ति नहीं हुई. 2011 में उनकी नियुक्ति 2 वर्षों की परिविक्षावधिक अवधि में हुई है. 2016-17 की वार्षिक परीक्षा में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के आदेश पर जांच करके उन्हें 2 वर्षों के परीक्षा से निलंबित किया गया है. डॉ संगीता घई ने अपना माफीनामा भी कॉलेज में जमा किया है. वहीँ प्राध्यापक गायत्री शर्मा की नियुक्ति 2015 में 48 प्रतिशत पूरक के साथ में नियम विरुद्ध की गई. जिस पर विश्व विद्यालय में जांच लंबित है.

प्रबंधन उन्हें बचाने के लिए पूरा षड़यंत्र करके प्राचार्य का प्रभार बदलना चाहती है. चूँकि बैठक ही अनाधिकृत है तो नियमानुसार प्रभार लेने कोई भी उपस्थित नहीं हो रहा है. प्रबंधक पूरे मामले में किसी भी प्रकार से दोष लगाने तैयार है. किंतु विभागीय जांच को तैयार नहीं है. प्रबंधक से मांग की जाती है कि वह पहले विभागीय जांच करवा लें. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. प्रबंधन दबंगई पर उतर आई है. सारे नियमों को ताक पर रखकर अपनी राजनीतिक प्रभाव को महाविद्यालय में आजमा रही है. किंतु प्रबंधक ऐसी दबंगई करेगी तो पुनः नियमानुसार उच्च स्तर पर लिखा जायेगा. प्रबंधक अपनी दबंगई व षड्यंत्र करना छोड़कर विभागीय जांच करे.

साथ ही आपको बता दें कि इस मामले पर डागा कॉलेज समिति के अध्यक्ष अजय तिवारी ने पुनः प्रोफ़ेसर दुबे के हर बयान के खिलाफ सिलसिलेवार बयान दिया. उन्होंने कहा कि कॉलेज कोड 28 के तहत बैठक के लिए अध्यक्ष को सर्वाधिकार होता है. बैठक की विधिवत प्रभारी प्राचार्य को सूचना दी गई थी. प्रोफ़ेसर दुबे ही जानबूझकर इस बैठक में अनुपस्थित रहे. बैठक में प्रोफ़ेसर दुबे के कार्यप्रणाली की कड़ी निंदा की गई. बैठक में उन्हें प्रभारी प्राचार्य से मुक्त कर दिया गया. इस बात कि प्रोफ़ेसर दुबे को लिखित सूचना भी दे दी गई.

जहाँ तक प्रोफ़ेसर गायत्री शर्मा के 48 प्रतिशत में नियुक्ति का आरोप है. ये मामला वे जब रविशंकर में रीडर के पद पर थीं तब का है. चूँकि पीजी के लिए 55 प्रतिशत अर्हता रखी गई है मगर अंडर ग्रेजुएट के लिए अभी तक फिलहाल ऐसी कोई प्रावधान नहीं है. प्रोफ़ेसर दुबे ने इस पुरे मामले पर संचालक को भी धमकी दी थी. अब आपको बता दें कि कॉलेज समिति किसी भी विभागीय जांच से बचना नहीं चाहती है. दूसरी बात बता दूँ कि प्रोफ़ेसर दुबे के खिलाफ शो-कॉज नोटिस जारी किये जाने की तैयारी है. वहीँ कॉलेज समिति द्वारा नियुक्त नई प्रभारी प्राचार्या डॉक्टर संगीता घई का पीएचडी हो चुका है. प्रोफ़ेसर दुबे का तो सिर्फ एमकॉम ही हुआ है.