सत्यपाल राजपूत, रायपुर। मौसमी चक्र अनुसार धरती के एक बड़े हिस्से में मौसम बदल रहा है, सर्दी दस्तक दे रही हैं और यही वो समय होता है जब सर्दी-खांसी आम बात हो जाती है. लेकिन इस बार की सर्दी दुनिया के कई वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. डर इस बात का है कि ठंडी हवाओं के साथ बदलते मौसम की वजह से, कोरोना वायरस अपनी अधिक ताक़त के साथ तेज़ी से फैल सकता है..जो पहले से कहीं अधिक जानलेवा हो सकती है.जैसे कि कोरोना कॉल के प्रारंभिक दौरा से कहा जा रहा है कि गर्मी में कोरोना संक्रमण ज्यादा समय जीवित नहीं होता, लोगों को ठंड से बचने की राय दी गई है, इसलिए लिए आज हर कोई जानना चाहता है कि अब ठंड में कोरोना ज्यादा ताकतवर हो जाएगा, या कोरोना संक्रमण तेजी से फैलेगा.
‘सर्दी में पूरी दुनिया में फैलाव’
लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत करते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि कोरोना जब दुनिया में फैला तो सर्दी का मौसम था दिसंबर के बाद जनवरी, फरवरी व मार्च में प्रारंभिक दौर था, उस समय ऐसे बात सामने आई थी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस जगह में ठंडी है वहां पर कोरोना संक्रमण ज़्यादा होगा और जहां गर्म देश है वहां कोरोना नहीं पहुंचेगा लेकिन बाद में हमने ये देखा अगर अमेरिका की बात करें तो ठण्ड के साथ दक्षिणी भाग में गर्मी भी है और अरब, दुबई अन्य कई देशों के साथ हमारे देश में भी गर्मी है और यहां भी कोरोना बढ़ा और बढ़ता चला गया.
फ़िलहाल मौसम का सीधा कोरोना का प्रभाव कितना है कि यह कहना कठिन है, लेकिन जब यूरोप के देशों में फैला तो उस समय ठंडी थी और बड़े पैमाने पर फैला इसलिए वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है की ठंड के मौसम में वातावरण भारी हो जाता है. वायुमंडल में नमी होती है, कोहरा देखते हैं धूंध भी देखते हैं. वातावरण भारी सा हो जाता है इसलिए आपको मुंह से निकलने वाली छोटी छोटी बूंदें हवा में ज़्यादा देर तक रह सकता है, इसलिए हो सकता है कि इसका ज़्यादा प्रभाव बढ़े फ़िलहाल ये शोध का विषय है.
‘ज्यादा सतर्कता की जरुरत’
हम सब जानते हैं कि कोरोना का संचार छींकने खांसने, एवं बोलने से छोटी छोटी बूंदें निकलती है. इसे कोरोना फैलता है, अगर गर्म वातावरण है तो ये बूंद जल्दी सूख जाएगी, लेकिन हो सकता है ठण्ड में ये बूंद ज़्यादा देर हवा में रहे और कोरोना इससे फ़ैले इसलिए हमें और ज़्यादा सतर्कता से सावधानी बरतने की ज़रूरत है.
‘बचाव के तीन मूल मंत्र’
बीमारी हो उसके पहले बचाओ के लिए अगर हम ये तीन मूल मंत्र को अपनाते हैं तो कोरोना से बचा जा सकता है, पहला 20 सेकंड तक हाथ धोना दिन में कम से कम 5- 6 बार ये प्रक्रिया करना चाहिए. दूसरी मंत्र है शारीरिक दूरी कम से कम 6 मीटर, तीसरा मास्क पहनना क्योंकि अभी हमें ये नहीं मालूम कि कोरोना के बचाव में कौन सी दवा काम करेंगी लेकिन ये सावधानी का मूलमंत्र कोरोना से बचाने के लिए पक्का काम करेगी.
‘वायरस ख़त्म नहीं हुआ है न ही आगे होगा’
अगर हम दूसरे देशों या अन्य जगहों के अनुभव की बात करें तो छत्तीसगढ़ में एक बार ग्राफ बढ़ेगा, कोरोना का आंकड़ा निर्भर है सैंपल और टेस्टिंग पर जितना टेस्टिंग होगा उतना मरीज़ सामने आएंगे, अगर हम रायपुर की बात करें तो यहां आंकड़ा सीमित दिख रही है इसका मतलब यह ख़त्म नहीं हुआ और जिन जगहों पर घर जाकर टेस्टिंग हो रही है वहां संख्या बढ़ रही है. वहां मरीज़ भी ज़्यादा दिख रहे और ये कम संख्या कब अचानक बढ़ जाएगी इसको कोई नहीं कह सकता, क्योंकि वायरस ख़त्म नहीं हुआ है न ही आगे ख़त्म होगा. जब तक वैक्सीन ना आ जाए. वैक्सीन आने के बाद पता चलेगा कि वैक्सिंग कितना असरदार है. जब तक सावधानी बरतना ही कारगर उपाय है चाहे वो सर्दी का दिन हो या गर्मी का.
‘कोरोना सर्दी में बढ़ेगा’
जैसा कि कहा जाता है कि मनुष्यों में होने वाले हर संक्रामक रोग का एक ख़ास मौसम होता है. जैसे सर्दियों में फ्लू और कॉमन-कोल्ड होता है, उसी तरह गर्मियों में पोलिया और वसंत के मौसम में खसरा (मीज़ल्स) और चिकन-पॉक्स फैलता है. चूंकि सारे संक्रामक रोग मौसम के हिसाब से बढ़ते हैं, इसलिए ये माना जा रहा है कि कोरोना भी सर्दी में बढ़ेगा.