रायपुर/कोरबा।  छत्तीसगढ़ के जल-जंगल-ज़मीन को तबाह करने की दिशा में तेजी आगे बढ़ते जा रही कोल खदानों पर रोक नहीं लगी, तो वह दिन दूर नहीं जब कोल माइंस वाले इलाके में भयंकर तबाही आ जाए. जिस तरह के हालात कोल खदान क्षेत्रों में बन रहे हैं, उससे पर्यावरण का संतुलन बुरी तरह से बिगड़ गया है. इसका यह भयानक नज़ारा रविवार 29 सितंबर को कोरबा जिले में देखने को मिला है.

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आप वीडियो में जिस खतराक मंजर को देख रहे हैं, वह दीपिका क्षेत्र के सुआकोड़ी गाँव का है. इस इलाके में लीलागर नदी बहती है. इसी गाँव में एसीईसीएल की कोल खदानें हैं. यहाँ नियमों की अनदेखी कर इस कदर धरती का सीना चीर दिया गया कि खदान का क्षेत्रफल नदी के तटीय हिस्से तक जा पहुँचा. नतीजा आज नदी ने अपनी धारा बदल ली और सीधे कोयला खदान में प्रवेश कर गई है. अच्छी बात ये रही है कि उस दौरान खदान के भीतर कोई भी कर्मचारी या मजदूर नहीं था, नहीं तो जन हानि हो सकती है.

सुआकोड़ी के सरपंच राजाराम ने lalluram.com  से बातचीत में कहा, कि अतिरिक्त प्रोडक्सशन के चक्कर में नदी के तटीय हिस्से को पूरी तरह से काट दिया गया है. नदीं से 20 मीटर के दूर तक कोल खदान को बढ़ा दिया गया है, जबकि नियमतः यह गलत है. इसकी शिकायत हमने कई बार प्रशासन से की, लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई. यही वजह है कि आज नदी की धारा बदल गई है. पानी का बहाव गाँव तक भी पहुँच गया था. शाम को 4 बजे की घटना है. इसकी भी जानकारी एसीईसीएल प्रबंधन और जिला प्रशासन को दी गई. बावजूद इसके कोई अभी तक गाँव सुध लेने नहीं पहुँचा.

वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा, कि लीलागर नदी ने आज अपना रास्ता बदला और कोरबा जिले में स्थित दीपिका कोयला खदान में भर गया. इस घटना से सबक लेना चाहिए क्योंकि, हाल ही में रायगढ स्थित गारे पेलमा-2 कोल ब्लॉक, जिसके बीच से केलो नदी प्रवाहित होती हैं. वहाँ भी यही स्थिति पैदा होगी. अगर वहाँ भी इस तरह खनन की शुरुआत हो गई, तो केलो नदी समाप्त हो जाएगी.