आज के समय में चिड़चिड़ापन एक गंभीर समस्या है। देखते ही देखते बात-बात में गुस्से में आ जाना, चिंतित हो उठना और डी-फोकस हो जाना। अगर, आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो आप इसे कतई हल्के में न लें। यह भविष्य में बड़ी समस्या का रूप ले सकती है। इससे मेंटल हेल्थ बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है। अच्छा है कि इस समस्या से निजात पाने के लिए टेक्निक्स एंड टेक्नोलॉजी का यूज करें। मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक्स की मदद लें। कुछ फूड्स भी मूड बूस्टर साबित होते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि इस समस्या को दूर कैसे कर सकते हैं। कुछ घरेलू उपाए भी कारगर होते हैं।

पहले अच्छे से डोपामाइन हार्मोन को समझें

डोपामाइन एक फील गुड हॉर्मोन होता है। शरीर में डोपामाइन की कमी के चलते थकान और फोकस की कमी महसूस होती है। कम डोपामाइन का स्तर मूड स्विंग्स, नींद की कमी और बार-बार भूलने की समस्या का कारण बनता है। ब्रेन से रिलीज होने वाला डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है। इससे मोटिवेशन, मूड, फोकस, ध्यान, याददाश्त और मोटर स्किल्स को नियंत्रण किया जाता है। कुछ पोषक तत्वों की उचित मात्रा से इसके स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

किन-किन पदार्थों में होता है डोपामाइन

प्रोटीन युक्त पदार्थ

चिकन, अंडे और डेयरी प्रोडक्टस से शरीर को अमीनो एसिड टायरोसिन मिलता है। इसकी मदद से डोपामाइन का रिलीज बढ़ने लगता है। बार-बार भूख लगने की समस्या का भी हल हो जाता है।

नट्स और सीड्स

बादाम, अखरोट, अलसी और कद्दू के बीज में टायरोसिन की उच्च मात्रा पाई जाती हैं। इससे डोपामाइन का स्तर बढ़ने लगता है। दिनभर में मुट्ठी भर नट्स और सीड्स का सेवन करना उचित होता है।

डार्क चॉकलेट और फर्मेंटिड फूड्स

दिनभर में डार्क चॉकलेट का सेवन करने से डोपामाइन के स्तर को स्टीम्यूलेट किया जा सकता है। दही और अन्य फर्मेंटिड फूड्स के सेवन से गट हेल्थ बूस्ट के अलावा डोपामाइन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है।

ग्रीन टी

नियमित ग्रीन-टी पीने से शरीर को एलथियानीन मिलता है। इससे डोपामाइन के स्तर बढ़ता है। डिप्रेशन का कम जोखिम होता है।

हल्दी से ब्रेन हेल्थ होगी बूस्ट

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक हल्दी को आहार में शामिल करने से शरीर को करक्यूमिन तत्व मिलता है। डोपामाइन के स्तर में वृद्धि होती है। हल्दी एक मूड बूस्टर मानी गई है। हल्दी को दूध में मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है। यह एक प्रकार के काढ़े का काम करती है। इसका उल्लेख आयुर्वेद में है।