Dasha Mata Vrat 2024 : गुरुवार 4 अप्रैल को दशा माता की पूजा की जाएगी. इस दिन विवाहित महिलाएं एक दिन का व्रत रखती हैं, दशा माता की पूजा करती हैं और पीपल के पेड़ (भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व) की पूजा करती हैं. जानिये इस व्रत के बारे में सब कुछ…
कौन हैं दशा माता (Dasha Mata Vrat 2024)
दशा माता नारी शक्ति का एक रूप है. ऊँट पर आरूढ़, देवी माँ के इस रूप को चार हाथों से दर्शाया गया है. वह क्रमशः ऊपरी दाएं और बाएं हाथ में तलवार और त्रिशूल रखती है. और निचले दाएं और बाएं हाथों में उनके पास कमल और कवच है.
एक खास धागे की होती है पूजा
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन महिलाएं व्रत-पूजन करके गले में एक खास डोरा (पूजा का धागा) पहनती है, ताकि घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और अपार धन संपत्ति बनी रहे. इस व्रत में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं. इस दिन झाड़ू आदि खरीदने की परंपरा भी प्रचलित है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, यह व्रत करने से सभी तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है.
व्रत में डोरे का विशेष महत्व
इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गठाने लगाती हैं और फिर उसे लेकर पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना करती हैं. इस व्रत में डोरे का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह दशा माता का डोरा कहलाता है, जिसे महिलाएं साल भर तक गले में धारण करती हैं.
दशा माता की पूजा का शुभ मुहूर्त
दशा माता की पूजा के बारे में बताया जाता है कि होली के दूसरे दिन से ही महिलाएं दशा माता की 10 दिन तक अलग अलग कथा सुनती हैं. फिर चैत्र मात्र के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता की पूजा अर्चना करती हैं और फिर पीपल के पेड़ के पास जाकर पूजा अर्चना करती हैं. 4 अप्रैल को महिलाएं दशा माता की पूजा सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 2 मिनट तक, फिर 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 3 बजकर 46 मिनट तक कर सकती हैं.
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