
जयपुर. मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है. देशभर में भगवान दत्तात्रेय को गुरु के रूप में मानकर इनकी पादुका का पूजन किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि सनातन धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय महाराज ने जन्म लिया था. इसीलिए उन्हें त्रिदेव का स्वरूप भी कहा जाता है.
माउंट आबू के गुरु शिखर पर है मंदिर
माउंट आबू राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है. यहां गुरु शिखर पर्वत है. यह पर्वत अरावली श्रृंखला से संबंधित है. इसी गुरु शिखर पर मौजूद है तपस्थली. मान्यता है कि यहां प्रभु दत्तात्रेय ने कई हजार साल पहले तप किया था. अरावली पर्वतमाला का सर्वोच्च शिखर है गुरु शिखर, समुद्र तल से तकरीबन 1722 मीटर ऊपर है और शहर से 15 किलोमीटर दूर.

दिव्य त्रिशूल के दर्शन से मनोकामना होती है पूरी
यहां गुरु दत्तात्रेय का आश्रम और मंदिर हैं. साथ ही वो गुफा भी मौजूद है जहां पर भगवान दत्तात्रेय ने तप किया था. भगवान का दिव्य त्रिशूल आज भी यहां मौजूद है. कहते हैं जो भक्त इस दिव्य त्रिशूल के दर्शन करता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. गुरु शिखर अरावली पर्वत शृंखला के साथ ही राजस्थान की सबसे ऊंची चोटी है. पर्वत की चोटी पर बने इस मंदिर की शांति दिल को छू लेती है. मंदिर से कुछ ही दूरी पर पीतल की घंटी है जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराती है. गुरु शिखर से नीचे का दृश्य बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ता है.
कौन है भगवान दत्तात्रेय?
श्रीमद्भागवत में महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के यहां त्रिदेवों के अंश से तीन पुत्रों के जन्म लेने का उल्लेख मिलता है. भगवान दत्तात्रेय, त्रिदेव यानी भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार हैं. दत्तात्रेय ईश्वर और गुरु दोनों ही हैं. यही कारण है कि उन्हें गुरुदेवदत्त के नाम से भी संबोधित किया जाता है. पौराणिक कथाओं में इस तीर्थ स्थल का उल्लेख मिलता है. ये वही स्थान है जहां ऋषि वशिष्ठ रहा करते थे. कहते हैं कि यहीं पर भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण ने ऋषि वशिष्ठ से दीक्षा ली थी.

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