रायपुर। गरीब किसान पिता को खेत बेचने से रोकने के लिए उनकी मदद के लिए बैलों की जगह खुद हल में जुत जाने वाली दो बेटियों की कहानी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी मर्माहत कर दिया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने परिवार की मदद के लिए 04 लाख रुपए की आर्थिक सहायता स्वीकृत की है.
बता दें कि कोंडागांव जिले के उमरगांव के निवासी 22 साल की हेमबती और 18 साल की लखमी की कहानी अखबारों में प्रकाशित हुई थी. उनके पिता अमल साय एक गरीब किसान हैं, वहीं मां भी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं. गरीबी की वजह से अमल साय अपनी बेटियों को पढ़ा नहीं पाए. परिवार के भरण-पोषण के लिए जब खेत बेचने की नौबत आ गई, तब बेटियों ने अपने पिता को रोकते हुए कहा कि आप हमारी जिंदगी बदलने के लिए खेत बेचना चाहते हैं, लेकिन इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. यही खेत हमारी जिंदगी बदलेंगे. हम आपका साथ देंगी.
बेटियों की मदद के बाद किसान अमल साय की खेती संभलने लगी. राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने भी परिवार को संबल दिया. उन्हें उपज की अच्छी कीमत मिलने लगी. अब यह परिवार कम संसाधनों के बावजूद पांच एकड़ में खेती करता है, लेकिन इसके लिए बेटियों को अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ अब भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. अखबारों में यह कहानी प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने कोंडागांव जिला कलेक्टर से परिवार की पूरी जानकारी मंगाई, ताकि उनकी मदद की जा सके. मुख्यमंत्री ने इस परिवार के लिए 4 लाख रुपए की मदद स्वीकृत की है.