नई दिल्ली . दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में यौन हिंसा की पीड़ितों का चिकित्सीय परिक्षण करने में देरी को रोकने के लिए सिफारिशें दी हैं.

एनसीआरबी की ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट 2022 के अनुसार, दिल्ली सबसे असुरक्षित महानगरीय शहर है और देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15% की वृद्धि हुई है. राजधानी में रोजाना करीब 6 रेप की घटनाएं हो रही हैं.

प्रत्येक अस्पताल में वन स्टॉप सेंटर

आयोग ने सिफारिश की है कि इनमें से प्रत्येक अस्पताल में तत्काल वन स्टॉप सेंटर स्थापित किया जाए. यह पता चला कि ऐसे 5 चरण थे, जिनमें पीड़िताओं की एमएलसी के दौरान देरी का अनुभव किया गया. पीड़िताओं को आपातकालीन कक्ष में प्रतीक्षा किए बिना सीधे वन स्टॉप सेंटर से संपर्क करने की अनुमति दी जानी चाहिए. वन स्टॉप सेंटर में शौचालय साथ में होने चाहिए और यूपीटी परीक्षणों में देरी को कम करने के लिए पीने का पानी होना चाहिए. बलात्कार पीड़ितों को स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा बिना किसी देरी के इलाज किया जाए. वरिष्ठ स्टाफ एमएलसी प्रक्रिया के दौरान सैंपल को ओएससी के अंदर ही सील करें और डॉक्टरों को दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दें.

ऐसे 5 चरण थे जिनमें पीड़िताओं की एमएलसी के दौरान देरी का अनुभव किया गया. ये हैं, आपातकालीन कक्ष में, पीड़िता का यूपीटी परीक्षण करते समय, स्त्री रोग विशेषज्ञ की प्रतीक्षा करते समय, नमूनों को सील करते समय और दस्तावेजीकरण प्रक्रिया के दौरान.

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं को इन प्रक्रियाओं के कारण काफी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. यह बिलकुल भी स्विकार नहीं किया जाएगा कि उन्हें अपनी एमएलसी कराने के लिए 6 घंटे से अधिक इंतजार करना पड़ता है. यह उनके आघात को और बढ़ाता है. हमने अस्पतालों में पीड़िताओं द्वारा अनुभव किए गए मुद्दों के बारे में विस्तार से रिपोर्ट बनाई है. इस संबंध में सरकार को समग्र सिफारिशें दी हैं. हम इस मुद्दे पर काम करेंगे ताकि पीड़ित को आगे सिस्टम द्वारा प्रताड़ित महसूस न हो.