वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में स्थित कानन जू बेजुबान जानवरों का कब्रगाह बनाता जा रहा है. लगतार दुर्लभ प्रजातियों के वन्य जीवों की आकस्मिक मौत से जू प्रबंधन पर सवालों के घेरे में है. कुछ दिनों पहले भालू की मौत, फिर टाइग्रेस की संदिग्ध मौत और एक बार फिर गर्भवती शेरनी और उसके पेट में पल रहे दो नवजात की मौत ने वन्यजीव प्रेमियों को झकझोर दिया है.

दरसअल, 2016 से 2021 तक 90 वन्य जीवों की मौत यंहा हुई है. 2022 जनवरी माह की बात करें तो अब तक 10 वन्यजीवों की मौत हुई है. इनमें 2 बाघिन,1 गर्भवती शेरनी और दो नवजात, 1 गर्भवती हिप्पोपोटेम्स और उसका एक नावजत समेत 3 भालुओं की सन्दिग्ध मौत ने इस जू को कब्रगाह बना दिया है.

लगातार मौत के पीछे का सच जानन हमने पड़ताल शुरू किया, तो जानकारी मिली, कि 700 वन्यजीवों वाले इस जू को 2005 में मिनी जू का दर्जा तो मिला, लेकिन वन्यजीवों की बढ़ती संख्या के बीच केज का विस्तार बाड़े में पानी की पुरानी व्यवस्था, गर्मी में वन्यजीवों के लिए शेड की व्यवस्था का न होना समेत एक्सपर्ट वन्यकर्मी और चिकित्सकों की कमी और ने जू प्रबंधन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.

इधर लगातार वन्यजीवों के मौत और व्यवस्थाओं पर उठ रहे सवाल से कानन प्रबंधन सवालों के घेरे में है. हालांकि अब अधिकारी सेंट्रल जू अथॉरिटी के गाइड लाइन के निर्देश के बाद वन्यजीवों की सुरक्षा और रखरखाव की व्यवस्था बढ़ाने की बात कर रहे हैं. इसके अलावा एक्सपीरियंस पशु चिकित्सक की भी शासन से मांग की गई है, ताकि वन्य जीव को बेहतर उपचार दिया जा सके.

तीन साल पहले तक इस जू में तकरीबन 700 वन्य जीव थे, लेकिन लगातार मौत की वजह से यह संख्या घटकर 540 हो गई है. ऐसे में जो प्रबंधन को जरूरत है कि बचे हुए वन्यजीवों की सुरक्षा, उनके खान पान की व्यवस्था के साथ ही बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध वन्यजीवों को कराएं, ताकि आकस्मिक वन्य जीवों की मौत के आंकड़े को रोका जा सके. नहीं तो इसी तरह वन्यजीवों की मौत होती रही है, तो पर्यटक घूमने की जगह केवल मृत वन्यजीवों को श्रद्धांजलि देने कानन जू पहुंचेंगे.