पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद. सुपेबेड़ा में मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. एक बार फिर किडनी प्रभावित सुपेबेड़ा में एक 34 वर्षीय युवक की मौत हो गई है. बताया जा रहा है पीताम्बर आडिल किडनी की बीमारी से पीड़ित था. जो पिछले दो साल से बीमार चल रहा था, उसकी हालत गंभीर होने पर उसे देवभोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पीताम्बर ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. घटना के बाद से ही एक बार गांव में दहशत का माहौल है.
आपको बता दें कि पिछले एक महीने में अंदर अब तक किडनी कि बीमारी से कुल तीन लोगों की मौत हो चुकी है. इससे पहले 29 मई को पदमिनी बाई कि और उसके कुछ दिन बाद ही भोजनी बाई के मौत हो चुकी है, और अब एक और मौत होने से पूरे गांव में सन्नाटा है. गौरतलब है कि किडनी की समस्या से प्रभावित सुपेबेड़ा में पिछले 13 सालों में अब तक कुल 63 लोगों की मौत हो चुकी है. यहां मौत का तांडव लगातार जारी है. साथ ही आपको यह जानकारी दे दें कि यहां तकरीबन 187 लोग किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं. जो ओडिशा के ही आर्युवेदिक दवाईयों के भरोसे अपना इलाज कर वा रहे हैं.
वहीं ग्रामीण लगातार सरकार पर इस बात का आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार चाहे कितने भी दावे करे पर वे किडनी के चलते होने वाली इस बिमारी से सरकार निजात पाने में असफल रही है. और अब एक और मौत ने ग्रामीणों का गुस्सा फिर बढ़ दिया है. ज्ञातो हो कि सरकार ने पहले ही दावा कर चुकी है कि सुपेबेड़ा कि मिट्टी और पानी में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व मौजूद है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार को इस बात कि जब जानकारी है, तब भी सरकार इस समस्या से निजाद पाने में क्यों असफल रही है. हालांकि सरकार ने कई बार बीमारी से निजाद पाने के दावे किए हैं जो धरातल पर व्यर्थ ही नजर आते हैं.