रायपुर. दीनदयाल जी ने कहा था “आर्थिक योजनाओं तथा प्रगति का माप समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति से नहीं बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा ,उनका उत्थान करना पड़ेगा.”
बलिया में दिए गए आपने भाषण में भारत के प्रधानमंत्री मननीय नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि “आखिर हमारी नीतियों में कहा कमी थी इस पर विचार होना चाहिए था, लेकिन पिछली सरकारों ने नहीं किया और ना ही गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ना सिखा सके बल्कि सरकारों ने गरीबों के हौसले को तबाह कर दिया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सरकारों ने जो भी योजनाएं बनायी वह गरीबों को ध्यान में रख कर नहीं बनाया बल्कि मतपेटी को ध्यान में रखकर बनाया. योजनाएं जब गरीबी को ध्यान में रखकर बनायी जाएगी तब गरीबी मिटेगी. जब गरीबों को पानी बिजली, शिक्षा, रोजगार मिलेगा तब उनको गरीबी से लड़ने की ताकत मिलेगी.’
दीनदयाल तथा मोदी जी दोनो की ही उद्घोषणा का अगर हम विवेचन करे तो यह साफ है कि मोदी जी दीनदयाल जी के दिखाए मार्ग पर चल कर भारत की नई तकदीर लिखना चाहते है, इसी उद्देश्य से जनसंघ तथा भरतोय जनता पार्टी का निर्माण हुआ था. भारतीय जनता पार्टी मोदी जी के नेतृत्व में एक सुदृढ़, सशक्त, समृद्ध, समर्थ एवं स्वावलम्बी भारत के निर्माण हेतु निरंतर सक्रिय है. पार्टी की कल्पना एक ऐसे राष्ट्र की है जो आधुनिक दृष्टिकोण से युक्त एक प्रगतिशील एवं प्रबुद्ध समाज का प्रतिनिधित्व करता हो तथा प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति तथा उसके मूल्यों से प्रेरणा लेते हुए महान ‘विश्वशक्ति’ एवं ‘विश्व गुरू’ के रूप में विश्व पटल पर स्थापित हो. इसके साथ ही विश्व शांति तथा न्याययुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को स्थापित करने के लिए विश्व के राष्ट्रों को प्रभावित करने की क्षमता रखे.
भारतीय जनता पार्टी के पुरोधा पण्डित दीनयाल जी के एकात्म मानववाद के अनुसार भारत मे समाज को स्वयंभू माना गया है. राज्य एक संस्था के नाते है. राज्य के समान और संस्थायें भी समय−समय पर पैदा होती हैं. प्रत्येक व्यक्ति इनमें से प्रत्येक संस्था का अंग रहता है. जैसे कुटुम्ब का मैं अंग हूं, जाति व्यवस्था हो तो उसका भी अंग हूं. मेरा कोई व्यापार है तो उसका भी अंग हूं. समाज, समाज के आगे पूर्ण मानवता पर विचार करें तो उसका भी अंग हूं. मानव से बढ़कर यदि हम इस चराचर जगत का विचार करें तो मैं उसका भी अंग हूं. वास्तविकता यह है कि व्यक्ति नाम की जो वस्तु है, वह एकांगी नहीं बल्कि बहुअंगी है परन्तु महत्वपूर्ण बात यह है कि वह अनेक अंगों वाला होकर भी परस्पर सहयोग, समन्वय को पूरकता और एकात्मकता के साथ चल सकता है. हर व्यक्ति को कुछ गुण मिला हुआ है.
जो व्यक्ति इस गुण का ठीक से उपयोग कर ले वो सुखी, व जो गुण का ठीक प्रकार से उपयोग न कर सके वह दुखी, उसका विकास ठीक नहीं होगा.
भारत ने सम्पूर्ण सृष्टि रचना में एकत्व देखा है. भारतीय संस्कृति इसीलिए सनातन काल से एकात्मवादी है. सृष्टि के एक−एक कण में परम्परावलम्बन है. भारत ने सभ्यता के विकास में परस्पर सहकार को ही मूल तत्व माना है. वस्तुतः एकात्म मानव दर्शन ही है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के सर्वांगीण विकास और अभ्युदय के लक्ष्य भी भारतीय दर्शन से ही निरूपित किए थे.
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राष्ट्र को किस प्रकार सुखी बनाया जा सकता है, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने इस पर लम्बे समय तक गहन विचार किया और देश को दिशा दिखाई. यह आधुनिक काल का हिन्दू दर्शन है. हिन्दू दर्शन कभी भी मुट्ठीभर लोगों का विचार नहीं करता. वह हमेशा ही वैश्विक विचार करता है.
आज विश्व की एक बड़ी आबादी गरीबी में जीवन यापन कर रही है. विश्वभर में विकास के कई मॉडल लाए गए लेकिन आशानुरूप परिणाम नहीं मिला. अतः दुनिया को एक ऐसे विकास मॉडल की तलाश है जो एकीकृत और संधारणीय हो. एकात्म मानववाद ऐसा ही एक दर्शन है जो अपनी प्रकृति में एकीकृत एवं समान विकास का पक्षधर है.
एकात्म मानववाद का उद्देश्य व्यक्ति एवं समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करना है. यह प्राकृतिक संसाधनों के संधारणीय उपभोग का समर्थन करता है जिससे कि उन संसाधनों की पुनः पूर्ति की जा सके.
एकात्म मानव दर्शन में ‘स्व’ का कोई स्थान नहीं है, दीनदयाल जी का पूरा दर्शन देश की संस्कृति और देश के हित के लिए समर्पित रहा. समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचे उसकी चिंता करते हुए उन्होंने साम्यवाद, पूंजीवाद के कम होते असर पर एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा का दर्शन दिया, जिसके केंद्र में मानव का सम्पूर्ण कल्याण निहित था. पिछले छह वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की सभी योजनाओं के केंद्रबिंदु में अंत्योदय का संकल्प रहा है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जनसंघ की स्थापना करने के पीछे सोच थी कि देश में ऐसा राजनीतिक दल हो जो राष्ट्र निर्माण का अंग बने, राष्ट्र निर्माण का साधन बने.
दीनदयाल देखे गए सपने को भारतीय जनता पार्टी मननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में पूरा कर रही है. विचार की इसी कड़ी को आगे बढ़ाते मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत की कल्पना की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने भाषण में कहा है कि -“भारत आत्मनिर्भर बनने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है. भारत की आत्मनिर्भरता की आकांक्षा ग्लोबलिज़्म (वैश्विकता) को नए सिरे से मज़बूत करेगी और मैं आश्वस्त हूं कि इस अभियान को इंडस्ट्री 4.0 (चौथी औद्योगिक क्रांति) से भी बहुत बड़ी मदद मिलेगी.”
देश को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ़ मोदी सरकार ने पहला क़दम पिछले साल ही उस समय उठाया था जब सरकार ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव’ यानी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना लेकर आई. इस योजना के अंतर्गत भारतीय कंपनियों को देश के अंदर सामान बनाने पर अगले पाँच साल तक 4 से 6 प्रतिशत रियायत मिलेगी.
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इस योजना के तहत पहले इलेक्ट्रॉनिक और फ़ार्मा सेक्टर को लाया गया. बाद में 11 नवंबर को मंत्रिमंडल ने इस योजना को 10 अन्य सेक्टर से जोड़ने की मंज़ूरी दी. इस योजना के लिए सरकार ने 2.60 लाख करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की.
सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह भी एक जनसमावेषी अभियान है, जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी का निर्माण राजनैतिक क्षेत्र की स्वस्छ्ता के उद्देश्य से हुआ था ताकि राजनैतिक क्षेत्र में व्याप्त भ्र्ष्टाचार एवं अमानवीयता से लड़ा जा सके. इसी प्रकार भारत की सड़कों, मुहल्लों एवं जनसम्पदाओ को स्वच्छ एवं सुदर्शन बना कर एक ऐसे भारत की ओर सरकार कदम बढ़ा रही है जँहा किसी भी प्रकार की अस्वच्छता का कोई स्थान न हो.
शहरों में नगरपालिका के पास पर्याप्त बजट होने के कारण अक्सर शहर तो साफ हो जाते थे किंतु गाँव अपर्याप्त बजट के कारण पिछड़ जाते थे, जँहा शहरों में सरकार ने वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को दुरुस्त करने पर ध्यान दिया वही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और गरिमा को बेहतर बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एक सफल अभियान शुरू किया. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को इस अभियान की शुरुआत की थी. स्वच्छ भारत मिशन विश्व में स्वच्छता के क्षेत्र में किया गया सबसे बड़ा व्यवहार परिवर्तन का अभियान है. इस अभियान का उद्देश्य, महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती पर उनको श्रद्धांजलि के रूप में 2 अक्टूबर 2019 तक एक खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) और स्वच्छ भारत का निर्माण करना है.
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता क्रांति की एक लहर सी उमड़ रही है. विभिन्न स्वतंत्र सर्वेक्षणों द्वारा यह साबित हुआ है कि इस अभियान से ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति एवं स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव आया है.
इसी प्रकार भारत की अक्षुण्णता को बनाए रखने एक भारत श्रेष्ठ भारत शुरू किया गया, देश के विभिन्न राज्यों में सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देंना ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान’ का मूल उद्देश्य है, एक भारत श्रेष्ठ भारत के एजेंडे के अनुसार, भारत के लिए एक राष्ट्र की अवधारणा सांस्कृतिक विविधता पर आधारित है. इस अभियान का उद्देश्य देश की जनता के बीच भावनात्मक एकता के परम्परागत ताने-बाने को और मजबूत बनाना है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के 36 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की समृद्ध संस्कृति तथा विरासत, खान-पान, हस्तकलाओं और रीति-रीवाजों को प्रदर्शित करना है.
इस अभियान के अंतर्गत सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने हेतु दो अलग-अलग राज्यों को जोड़ीदार बनाया गया है. जम्मू-कश्मीर राज्य को तमिलनाडु के साथ, पंजाब को आंध्र प्रदेश के साथ, उत्तराखंड़ को कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश को केरल, दिल्ली को सिक्किम और राजस्थान को असम के साथ जोडा़ गया है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के बीच गहरे रचनात्मक संपर्कों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा देना है. यह राष्ट्र की मजबूती और एकता का एक महत्वपूर्ण कारक बनेगा. साथ ही, यह भारतीय शासन के संघीय ढांचे को भी मजबूती प्रदान करेगा. यह अभियान देश की विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं को पहचानने और उजागर करने में भी मदद करेगा.
देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर 75 सप्ताह पूर्व आजादी का अमृत महोत्सव शुरू है. पूरे देश में यह महोत्सव मनाया जा रहा है. इसके लिए हर राज्य ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां की हैं.
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हम सभी जानते हैं कि 12 मार्च 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह की शुरुआत की थी. 2020 में नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने के पर प्रधानमंत्री मोदी ने साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव की शुरुआत पदयात्रा को हरी झंडी दिखाकर की. सोमवार को केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने 75 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी कर ली है. अब इस महोत्सव की रूपरेखा तय करने के लिए गृहमंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति बनाई गई है.
15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से एक साल पहले यानी 15 अगस्त 2021 से इन कार्यक्रमों को शुरुआत की गई. जिसमें देश की अदम्य भावना के उत्सव दिखाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे है. इनमें संगीत, नृत्य, प्रवचन, प्रस्तावना पठन (प्रत्येक पंक्ति देश के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाली विभिन्न भाषाओं में) शामिल हैं. युवा शक्ति को भारत के भविष्य के रूप में दिखाते हुए गायकवृंद में 75 स्वर के साथ-साथ 75 नर्तक है. यह कार्यक्रम 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेंगे.
इस आयोजन के माध्यम से ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है. इसे लोकप्रिय बनाने के लिए साबरमती आश्रम में मगन निवास के पास एक चरखा स्थापित किया जाएगा. कोई भी व्यक्ति जब कोई भी स्थानीय उत्पाद खरीदेगा और ‘वोकल फॉर लोकल’ का इस्तेमाल करते हुए उसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करेगा तो आत्मनिर्भरता से संबंधित प्रत्येक ट्वीट के साथ यह चरखा एक बार घूमेगा.
इन सभी योजनाओं के पीछे मननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की एक सुविचारित योजना दृष्टिगत होती है जिसका उद्देश्य और जनसंघ तथा भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के पीछे जो उद्देश्य श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी, दीनदयाल जी तथा अटल जी ने तय किया था वो एक ही है कि परस्पर विरोधी परम्परा, संस्कृति तथा भावना वाले लोगों की खींचतान करके बंधी हुई गठरी राष्ट्र नहीं हो सकता. धर्म, संस्कृति, देश, भाषा तथा इतिहास के संदर्भ में ‘हम सब एक हैं’ यह ज्ञान तथा ‘एक रहेंगे’ इसका निश्चय होकर जो अभूतपूर्व आत्मीयता एवं तन्मयता हृदय में उत्पन्न होती है, वही राष्ट्र का अधिष्ठान है.’
लेखक- चंद्रशेखर साहू, पूर्व मंत्री
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