Deep Cein Thrombosis: अगर पैर में अचानक भारीपन और खिंचाव हो, धीरे-धीरे हल्की सूजन की शिकायत होने लगे और फिर यह सूजन बढ़े, तो इस समस्या को हल्के में मत लीजिए. विशेषकर अगर पैरों की सूजन की समस्या चोट लगने या सड़क दुर्घटना के बाद हुई है, तो हाथ पर हाथ धरकर मत बैठिए. इसका इलाज लीजिए, अन्यथा यह समस्या गंभीर हो सकती है.

इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पैरों की खून की नसों (यानी वेन्स) में रक्त के थक्कों (ब्लड क्लॉट) का जमाव होना है, जिससे ऑक्सीजन रहित खून के ऊपर चढ़ने की प्रक्रिया शिथिल हो जाती है. परिणामस्वरूप, ऑक्सीजन रहित खून या क्लॉट पैरों की नसों में जमा होने लगते हैं और पैरों में अचानक सूजन बढ़ने लगती है.

अगर यह रक्त के थक्के ऊपर चढ़ते हुए फेफड़े की नली तक पहुंच गए, तो अचानक सांस फूलने लगती है और खतरा बढ़ जाता है. पैरों की नसों में रक्त के थक्के जमा होने की अवस्था को डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) कहते हैं.

BJP मंत्री नितेश राणे ने कहा- जब मातोश्री पर दावा करेगा वक्फ, तब समझेंगे ओवैसी के भाई उद्धव ठाकरे

ऐसे लोगों को अधिक होने की आशंका

वे लोग, जो नियमित टहलते नहीं हैं और न ही व्यायाम करते हैं, उनके पैरों में अचानक सूजन आने की आशंका रहती है. जिन लोगों का शरीर का वजन ज्यादा होता है और जो दिन में लंबे समय तक बैठे रहते हैं, जैसे दुकानदार, या लंबे समय तक खड़े रहते हैं, जैसे ट्रैफिक पुलिसकर्मी, घंटों टीवी के सामने बैठे रहने और बढ़ते वजन पर अंकुश न लगाने वाली महिलाओं में भी यह शिकायत देखी जाती है.

आराम की सलाह

अगर पैर की नस में ब्लड क्लॉट जमा हो गए हैं, तो चलना और दौड़ना बंद कर देना चाहिए और मरीज को तुरंत आराम करना चाहिए. पैरों के नीचे तकिया लगाकर उस पैर को ऊपर की तरफ रखना चाहिए और तुरंत किसी वैस्कुलर सर्जन की निगरानी में इलाज शुरू कर देना चाहिए और खून को पतला करने की दवा शुरू करनी चाहिए.

Virat Kohli की बायोपिक में काम करेंगे Shahid Kapoor, जानिए एक्टर ने क्या दिया जवाब…

ब्लड क्लॉट की जांच से लगता है पता

इसमें पैरों की नसों की विशेष जांच होती है, जिसे बेनस डॉपलर स्टडी कहते हैं. इससे यह पता लगेगा कि पैरों की नसों में ब्लड क्लॉट जमा हैं या नहीं. अगर जमा हैं, तो कितनी मात्रा में हैं और खून की नली की कितनी लंबाई में हैं. कहीं पेट की नली तक तो ब्लड क्लॉट नहीं पहुंच गए हैं. अगर ऐसा है, तो फेफड़ों की सीटी एंजियोग्राफी कराना आवश्यक हो जाता है. ईसीजी भी की जाती है.

नए तरीके से भी किया जाता इलाज

अब पैर में बिना सर्जरी किए सक्शन मशीन से ब्लड क्लॉट खींच लिए जाते हैं, जिसे मेडिकल भाषा में नॉन सर्जिकल वेनस थ्रोम्बेक्टमी कहते हैं. इससे मरीज के स्वास्थ्य में सुधार जल्दी से होता है और तकलीफ में कमी आती है. पैर की सूजन कम हो जाती है और ब्लड क्लॉट की मात्रा कम हो जाने से फेफड़ों की नली जाम होने से बच जाती है.

बचाव के लिए उपाय (Deep Cein Thrombosis)

रोज सुबह सैर करें. कम से कम रोजाना पांच किलोमीटर चलें. अपने वजन को न बढ़ने दें. एक घंटे से ज्यादा लगातार न बैठें. बैठे हुए एक घंटा बीत जाने के बाद उठें और पांच से दस मिनट के लिए टहलें और फिर से बैठ जाएं. कभी लगातार एक घंटे से ज्यादा खड़े न रहें. एक घंटे के बाद पांच मिनट के लिए बैठ जाएं और पैर को एक स्टूल पर ऊंचा रख लें.