राजधानी दिल्ली में बसों की संख्या लगातार घट रही है। नवंबर में आयु पूर्ण होने के कारण करीब 550 CNG बसों को फ्लीट से बाहर कर दिया गया, जिसके चलते सार्वजनिक परिवहन पर दबाव बढ़ गया है। अब यात्रियों को बस स्टॉप पर लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है। इसका असर नौकरीपेशा लोगों के साथ-साथ स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं पर भी पड़ रहा है, जिन्हें रोज़ाना अतिरिक्त समय और परेशानी झेलनी पड़ रही है।
डीटीसी अपने बेड़े से पुरानी सीएनजी बसों को चरणबद्ध तरीके से हटा रही है। अप्रैल से नवंबर के बीच ही 1,200 से अधिक बसें सड़कों से बाहर हो चुकी हैं। हालांकि इनके स्थान पर नई बसें लाई जा रही हैं, लेकिन उनकी संख्या आवश्यकता के मुकाबले काफी कम है। यही वजह है कि बसों की मांग और उपलब्धता का संतुलन बिगड़ गया है। जिन मार्गों पर पहले हर 10 मिनट में बस मिल जाती थी, अब वहां इंतज़ार का समय बढ़कर 35–40 मिनट तक पहुंच गया है।
सुबह और शाम के व्यस्त समय में बसों की संख्या बढ़ाई जरूर गई है, लेकिन यह यात्रियों की बढ़ती संख्या के मुकाबले अब भी बेहद कम है। परिणामस्वरूप बस स्टॉप पर बस आते ही उसमें चढ़ने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ती है और कई यात्री अंदर घुस भी नहीं पाते। स्कूली छात्र रोशन का कहना है कि दोपहर के समय स्थिति और खराब हो जाती है. बसों की संख्या कम होने के कारण उसे रोज़ 35 से 40 मिनट तक इंतज़ार करना पड़ता है।
एक महीने में हट जाएंगी बची CNG बसें
डीटीसी के बेड़े में अब मात्र 150 सीएनजी बसें ही बची हैं। डीटीसी के एक अधिकारी के अनुसार, इन बसों की आयु भी अगले एक महीने में पूरी हो जाएगी। यानी नए साल के पहले ही महीने में डीटीसी की सभी सीएनजी बसें फ्लीट से बाहर हो जाएंगी। इससे बसों की उपलब्धता और मांग के बीच पहले से बना असंतुलन और बढ़ने की आशंका है।
दिल्ली में 12 मीटर लंबी बसों की कमी सबसे अधिक महसूस की जा रही है। इनकी जगह अब बड़े पैमाने पर 9 मीटर लंबी ‘देवी’ बसों को शामिल किया जा रहा है, लेकिन छोटी बसों की बढ़ती संख्या यात्रियों की भीड़ को देखते हुए पर्याप्त साबित नहीं हो रही है।
दिल्ली में मौजूदा बस फ्लीट (DTC + क्लस्टर):
डीटीसी
ई-बसें: कुल 2,537, 9 मीटर: 737, 12 मीटर: 1,800, सीएनजी बसें: 149
क्लस्टर स्कीम
ई-बसें: कुल 779, 9 मीटर: 359, 12 मीटर: 420, सीएनजी बसें: 1,731
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