नई दिल्ली। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्र से खेतों में पराली जलाए जाने पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. उन्होंने कहा, “दिल्ली के अंदर प्रदूषण के स्तर में पराली के योगदान के बारे में विशेषज्ञों, मीडियाकर्मियों और लोगों के बीच दिनभर बहस होती रही. मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध करना चाहूंगा. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक ही हलफनामे में दो विरोधाभासी बयान पेश किए. एक बयान में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 4 फीसदी है. इसी हलफनामे में दूसरे बयान से संकेत मिलता है कि एक दिन पहले एक बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया था दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 35 से 40 प्रतिशत है.”

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गोपाल राय ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों कथन सत्य नहीं हो सकते. या तो 4 सही आंकड़ा है या 40, इसलिए मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से अनुरोध करता हूं कि उस रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों और बयानों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करने की जरूरत है, क्योंकि अगर हमें योगदान पर विचार करने की रणनीति बनानी है, तो पराली जलाने के 4 प्रतिशत योगदान का परिणाम इससे अलग होगा, इसलिए हम योगदान को 40 प्रतिशत मानते हैं. इस पर सर्वोच्च न्यायालय और लोगों के सामने एक स्पष्टीकरण दिया जाना जरूरी है, ताकि हम उस हिसाब से तैयारी कर सकें, सही रणनीति बना सकें.

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उन्होंने कहा कि मैंने इस पर गौर किया और पाया कि केंद्र सरकार के एक संगठन पर 4 नवंबर से 14 नवंबर तक डेटा और अनुमान प्रकाशित करने की जिम्मेदारी थी. दिवाली 4 नवंबर को थी और ‘सफर’ का आकलन कहता है कि 4 नवंबर को पराली का योगदान 25 फीसदी था. 5 नवंबर को 36 फीसदी, 6 नवंबर को 41 फीसदी, 7 नवंबर को 48 फीसदी, 8 नवंबर को 30 फीसदी, 9 नवंबर को 27 फीसदी और 11 नवंबर को 10 फीसदी, 11 नवंबर को 26 फीसदी, 12 नवंबर को 35 फीसदी और 13 और 14 नवंबर को 31 फीसदी. अगर 4 नवंबर से 14 नवंबर तक के आंकड़ों के औसत पर विचार किया जाए, तो यह लगभग 31 फीसदी है. यह डेटा भी केंद्र सरकार का है और डेटा जो कोर्ट के अंदर सौंपा गया है, वह भी केंद्र सरकार की ओर से है.

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गोपाल राय ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मेरा अनुरोध है कि इस स्थिति को जल्द से जल्द स्पष्ट किया जाए, ताकि हम प्रदूषण के संबंध में सही रणनीति तैयार कर सकें. यह स्पष्टीकरण भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सोमवार से इसे लेकर बहुत भ्रम है. राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता और इससे निपटने के लिए आवश्यक उपायों पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा आयोजित बैठक का जिक्र करते हुए राय ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट ने सीएक्यूएम को निर्देश दिया था. सीएक्यूएम दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को लेकर संयुक्त बैठक करेगा. इस संबंध में मंगलवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के अधिकारियों ने एक बैठक की. इस बैठक में दिल्ली की जनता की ओर से हमने प्रस्ताव दिया कि वर्क फ्रॉम होम लागू किया जाए और दिल्ली-एनसीआर में सभी निर्माण कार्य और उद्योग इस बीच बंद रहें. हम आयोग का निर्णय आने के बाद आगे बढ़ेंगे. हमें उम्मीद है कि इस बैठक में प्रदूषण पर एक संयुक्त कार्ययोजना बनेगी.

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उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमने 18 अक्टूबर से 18 नवंबर तक ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ अभियान चलाने का फैसला किया था, लेकिन प्रदूषण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार ने अब इस अभियान का दूसरा चरण शुरू करने का फैसला किया है, जो 19 नवंबर से 3 दिसंबर तक चलेगा. पिछले चरण की तरह, लगभग 100 चौराहों पर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए 2,500 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक काम करना जारी रखेंगे.