सरकारी-निजी एजेंसियों को 14 और 17 सितंबर को बैठक कर जागरूक किया गया था. सार्वजनिक नोटिस भी 21-22 सितंबर को दिया गया, इसके बावजूद नियमों का उल्लघंन किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने धूल प्रदूषण के सेल्फ असेसमेंट को लेकर पोर्टल लॉन्च किया गया है. निर्माण कार्य के वक्त 15 नियमों को पूरा करने की ऑनलाइन जानकारी देनी होगी. वेबसाइट https://dustcontroldpcc.delhi.
गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर एंटी डस्ट अभियान शुरू किया गया है. जिसके बाद 31 टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में निगरानी का काम कर रही हैं कि कौन-कौन कंपनियां मापदंडों का पालन कर रही हैं. हमें सूचना मिली थी कि प्रगति मैदान का टनल बनाने वाली कंपनी एलएंडटी द्वारा बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, जिसके बाद आज यहां पर निरीक्षण किया गया है, जिसमें दिख रहा है कि कंपनी के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और चारों तरफ धूल फैली हुई है. इसके अलावा तिरपाल जो लगी हुई है, वह टुकड़ों-टुकड़ों में और फटी हुई लगी है. यहां पर एंटी स्मॉग गन केवल दिखाने के लिए रखा गया है, साथ ही यहां पर टैंकर में पानी तक नहीं है. यह दिखा रहा है कि तमाम निर्देशों का कुछ कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. इसके ऊपर सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. जुर्माना लगाने के अलावा नोटिस दिया गया है. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि सरकारी निर्माण एजेंसियों के साथ 14 सितंबर को और निजी निर्माण एजेंसियों के साथ 17 सितंबर को बैठक की थी. उस बैठक के अंदर किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर क्या-क्या तैयारी करनी है, उसके 14 सूत्रीय एजेंडे पर विचार-विमर्श किया गया. उसके बाद भी 21-22 सितंबर को सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया है कि निर्माण साइटों पर इन 14 नियमों को लागू करना जरूरी है. इसके बाद 2 अक्टूबर को सभी को रिमाइंडर भेजा गया. इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की गई है.
इससे पहले दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को दिल्ली सचिवालय में धूल प्रदूषण के सेल्फ असेसमेंट को लेकर वेबसाइट https://dustcontroldpcc.delhi.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा आज एंटी डस्ट अभियान के तहत जो ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है, वह एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा. पोर्टल के माध्यम से दिल्ली के अंदर जितने भी निर्माण कार्य चल रहे हैं उनको जोड़ा जाएगा. भले ही कोई व्यक्तिगत घर बना रहा हो, कोई बिल्डर इमारत खड़ी कर रहा हो, कोई ठेकेदार निर्माण कर रहा हो या कोई एजेंसी निर्माण कार्य कर रही हो.
पर्यावरण मंत्री ने बताया कि इस तरह से मुख्य तौर पर 4 तरीके से दिल्ली में निर्माण कार्य होता है. इस पोर्टल पर दिल्ली के अंदर जितने तरह के निर्माण कार्य चल रहे हैं, धीरे-धीरे उन सभी लोगों को इस पोर्टल से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए अगले सप्ताह से अलग-अलग एजेंसियों के प्रशिक्षण का सिलसिला शुरू होगा. उन्हें काम के संबंध में प्रशिक्षित किया जाए. पहले चरण में एमसीडी, डीडीए, पीडब्ल्यूडी, सीपीडब्ल्यूडी, इरिगेशन एंड फ्लड कंट्रोल डिपार्टमेंट, मेट्रो, एनएचएआई, डीएसआईआईडीसी और इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन के लोगों को प्रशिक्षित करेंगे. दूसरे चरण में निजी एजेंसियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके अलावा निजी स्तर पर जो घर बनाते हैं वो एमसीडी से अनुमति लेते हैं, इसलिए एमसीडी के जरिए उनको गाइड करेंगे और पोर्टल पर आने के लिए प्रेरित करेंगे.
गोपाल राय ने कहा कि पोर्टल को सेल्फ असेसमेंट नाम दिया गया है. दिल्ली के अंदर प्रदूषण हर व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है, इसलिए हर व्यक्ति को प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए योगदान देना होगा, इसलिए सरकार अभी तक इसका असेसमेंट खुद करके कार्रवाई करती थी. इसकी जगह अब सेल्फ असेसमेंट का विकल्प शुरू किया गया है. सरकार, एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्माण के मापदंड तय किए हैं, उन सभी को पूरा किया जा रहा है या नहीं, हर व्यक्ति पोर्टल पर आकर वह घोषित करे.
उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य संबंधी मापदंडों की जानकारी दो तरह की है. पहली जानकारी जो अनिवार्य है, जिन्हें हर हाल में सभी को फॉलो करना है, उनकी संख्या 15 है. दूसरे 12 मापदंड ऐसे हैं, जिनकी जानकारी की जरूरत है, लेकिन वह अनिवार्य नहीं है. इस तरह से दोनों तरह के मापदंडों को मिलाकर 27 मापदंड निर्धारित किए गए हैं. इस पोर्टल के माध्यम से 27 मापदंडों में से 15 अनिवार्य जानकारी पूरी नहीं करते हैं, तो कार्रवाई की जाएगी.
मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कई जगह से शिकायत आती थी कि मेरे पास नोटिस आया और इसके बाद अधिकारी ने डील करके मामले को खत्म कर दिया. पोर्टल का यह फायदा है कि इसमें सीधा संवाद होगा. जो लोग इन 15 मापदंडों को पूरा करेंगे, उन्हें हम 200 नंबर देंगे. इसके अलावा अन्य 12 प्वाइंट का जवाब देने पर 60 नंबर देंगे. इस तरह 200 और 60 अंक के आधार पर उनकी स्कोरिंग की जाएगी. इसके बाद मापदंडों के पालन में कमी मिलती है, तो पोर्टल के जरिए ही नोटिस जाएगा. उनके खिलाफ जांच करने और कार्रवाई करने पर जो भी जुर्माना होगा, वह पोर्टल के जरिए ही जाएगा. पोर्टल पर ही जुर्माने को जमा कर सकते हैं. लोगों के लिए पारदर्शी सिस्टम बनाने में यह पोर्टल सहयोगी साबित होगा.
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि पोर्टल लॉन्च किया गया है. इसमें अलग-अलग एजेंसियों के साथ प्रशिक्षण का सिलसिला चलेगा. एक नवंबर तक इस पोर्टल के ट्रेनिंग का काम पूरा कर देंगे. एक नवंबर से डीपीसीसी के अधिकारियों द्वारा निगरानी की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. इसके अलावा जो लोग मापदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं, उसके हिसाब से नोटिस और जुर्माना लगाने का काम शुरू करेंगे. वहीं 29 अक्टूबर तक जिस तरह से अभी तक काम चल रहा था, उसी तरह से एंटी डस्ट अभियान चलेगा. जमीन पर टीमें आज से उतर गई हैं, वे जांच करेंगी और नियमों का पालन नहीं मिलने पर कार्रवाई करेंगी.
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