दिल्ली सरकार ने यमुना नदी (Yamuna River)को प्रदूषण मुक्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. सरकार उन सभी नालों का सर्वेक्षण करने जा रही है, जो सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम से नहीं जुड़े हैं. इन नालों से निकलने वाले बिना शोधित गंदे पानी को यमुना में जाने से रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. 22 प्रमुख नालों में ऐसे रिसाव को रोकने के लिए कार्य प्रारंभ हो चुका है.

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दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अनुसार, बिना सीवेज नेटवर्क से जुड़े नालों की मैपिंग के लिए एक विशेषज्ञ एजेंसी का चयन किया जाएगा. यह एजेंसी उन नालों का नक्शा तैयार करेगी, जिनका गंदा पानी यमुना में गिर रहा है. सर्वेक्षण का कार्य सितंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके बाद इंजीनियरों द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी. सरकार इन परियोजनाओं को दिसंबर 2025 तक लागू करने की योजना बना रही है.

दिल्ली जल बोर्ड पिछले कुछ वर्षों से इंटरसेप्टर सीवर परियोजना पर कार्यरत है, जिसका उद्देश्य सभी नालों के पानी को निकटवर्ती सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) में भेजना है. हालांकि, नजफगढ़ और शाहदरा जैसे बड़े नालों से पूरी तरह रिसाव रोकना संभव नहीं है. इस स्थिति में, 182 सब-ड्रेनों में से 26 को ट्रैप करने और शेष पानी को नाले के मुहाने पर शोधित करने की योजना पर काम चल रहा है. इसके अलावा, यमुना में गिरने वाले 22 नालों में से 9 के रिसाव की पहचान की जा चुकी है, और दिल्ली गेट तथा सेन नर्सिंग होम ड्रेन में आंशिक रिसाव रोकने के प्रयास किए गए हैं. यह कार्य दिसंबर 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है, जबकि सात नालों के प्रवाह को एसटीपी से जोड़ने के लिए अभी तक डायवर्ट नहीं किया गया है.

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सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के माध्यम से अपने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की क्षमता का मूल्यांकन कराने जा रही है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य छोटे एसटीपी की आउटपुट गुणवत्ता का आकलन करना है. सीपीसीबी जुलाई 2025 तक सभी एसटीपी और उनके आउटफॉल्स का निरीक्षण करेगा, जिसके बाद दिल्ली जल बोर्ड (डीजेपी) एक कार्ययोजना तैयार करेगा. इस योजना के आधार पर आवश्यक सुधार किए जाएंगे.

नाला सफाई की GPS से निगरानी होगी

महरौली विधानसभा में मॉनसून से पहले पांच प्रमुख नालों का निरीक्षण करते हुए लोक निर्माण विभाग के मंत्री प्रवेश वर्मा ने गुरुवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे 15 जून तक हर दिन सफाई की प्रगति की रिपोर्ट भेजें और नालों की सफाई की जीपीएस आधारित निगरानी करें. उन्होंने इस स्थिति के लिए पूर्व सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया. इस दौरे के दौरान दक्षिणी दिल्ली के सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी भी उपस्थित रहे.

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प्रवेश वर्मा ने साकेत गुरुद्वारे के निकट, दरगाह महरौली (मल्होत्रा प्रॉपर्टीज), मोतीलाल नेहरू कैंप, कुसुमपुर पहाड़ी और कुतुब इंस्टिट्यूट क्षेत्र के पास स्थित नालों का निरीक्षण किया. इस दौरान मंत्री ने पाया कि कई स्थानों पर नाले पूरी तरह से जाम हो चुके हैं, स्लैब टूट गए हैं और जल निकासी के प्राकृतिक मार्गों में अतिक्रमण हो गया है. उन्होंने उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में तुरंत अतिरिक्त मशीनें और श्रमिक तैनात करने के निर्देश दिए.

वर्मा ने कहा कि पूर्व की सरकारें और अधिकारी मॉनसून को हमेशा एक आपदा के रूप में देखते रहे हैं, जबकि हमारी दृष्टि इसे एक अवसर के रूप में देखने की है. यह शासन की तैयारी, जवाबदेही और परिणाम देने की क्षमता को साबित करने का एक मौका है. अब दिल्ली को लापरवाही का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा.