दिल्ली सरकार अब दिव्यांग व्यक्तियों की देखभाल करने वाले सहायकों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी. ये सहायक उनके माता-पिता, भाई-बहन या कोई अन्य व्यक्ति हो सकते हैं. यह योजना केवल उन दिव्यांगों के लिए लागू होगी, जो 80 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता के शिकार हैं और पूरी तरह से किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर हैं. सरकार का दावा है कि दिल्ली इस प्रकार की योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा.

समाज कल्याण विभाग के मंत्री रविन्द्र इंद्राज ने बताया कि दिव्यांगों की उचित देखभाल के लिए सहायक को मानदेय प्रदान करना आवश्यक है. इस दिशा में एक योजना पर कार्य चल रहा है, जिसमें 5 हजार रुपये मासिक आर्थिक सहायता का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इस प्रस्ताव पर कैबिनेट में पहले ही चर्चा हो चुकी है, और कुछ आवश्यक संशोधनों पर काम जारी है. जैसे ही ये संशोधन पूरे होंगे, इसे फिर से कैबिनेट में लाकर लागू किया जाएगा.

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समाज कल्याण विभाग के अनुसार, दिल्ली में लगभग एक हजार परिवारों में ऐसे दिव्यांग व्यक्ति हैं, जो पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हैं. यह आंकड़ा प्रारंभिक है और इसके आधार पर एक सर्वेक्षण भी किया जाएगा, जिससे वास्तविक स्थिति का पता चलेगा. विभाग का उद्देश्य इस योजना को लागू करके कमजोर वर्ग के दिव्यांगों की देखभाल में किसी भी प्रकार की कमी को रोकना है.

वर्तमान में समाज कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांगों के लिए एक पेंशन योजना संचालित की जा रही है, जिसके तहत 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को प्रतिमाह ढाई हजार रुपये की पेंशन प्रदान की जाती है. आंकड़ों के अनुसार, लगभग डेढ़ लाख दिव्यांग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन उनके देखभाल करने वाले सहायकों को कोई सहायता नहीं मिलती है.

मंत्री रविन्द्र इंद्राज सिंह ने शुक्रवार को नरेला में मानसिक रूप से दिव्यांगों के लिए बन रहे भवन का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने पीडब्ल्यूडी और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर भवन की प्रगति का जायजा लिया. इंद्राज ने बताया कि इस कैंपस के तैयार होने पर रोहिणी के आशा होम्स जैसे अन्य शेल्टरों से अधिक संख्या में रह रहे दिव्यांगों को यहां स्थानांतरित किया जाएगा. नए भवन में 220 दिव्यांगों के रहने की व्यवस्था होगी. इसके अलावा, उन्होंने मामूरपुर और दल्लूपुरा में भी दिव्यांगों के लिए भवनों के निर्माण की जानकारी दी.