फ्रांस के लग्जरी ब्रांड हर्मीस के स्वामित्व वाले चार ट्रेडमार्क को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने प्रसिद्ध ट्रेडमार्क का दर्जा दिया। आदेश की प्रति देर रात जारी की गई। न्यायमूर्ति तेजस करिया ने अपने आदेश में ‘Hermès’ नाम, उसके स्टाइलिश लोगो और बर्किन हैंडबैग (Birkin bags) की विशिष्ट त्रिआयामी आकृति को भारत में प्रसिद्ध ट्रेडमार्क के रूप में मान्यता दी। यह निर्णय हर्मीस इंटरनेशनल द्वारा भारतीय कंपनी मैकी लाइफस्टाइल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन और पासिंग-ऑफ मुकदमे के संदर्भ में दिया गया।

पेरिस स्थित इस लग्जरी ब्रांड ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया था कि वह बिना अनुमति के ऑनलाइन ऐसे हैंडबैग का विज्ञापन कर रही थी, जो हर्मीस के डिज़ाइन से मिलते-जुलते थे। इसके जवाब में भारतीय कंपनी ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि उसने हर्मीस जैसे किसी भी उत्पाद को न तो बनाया है और न ही बेचा है। कंपनी ने यह भी बताया कि वह अपना व्यावसायिक संचालन पहले ही बंद कर चुकी है।

इस आश्वासन के बाद अदालत ने हर्मीस के उस अनुरोध पर विचार शुरू किया, जिसमें उसके चिह्नों को ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 के तहत औपचारिक रूप से ‘प्रसिद्ध ट्रेडमार्क’ घोषित करने की मांग की गई थी। अपने दावे को मजबूत करने के लिए हर्मीस ने व्यापक दस्तावेज पेश किए। इनमें विभिन्न देशों और अदालतों में उसके ट्रेडमार्क पंजीकरण, लगातार ब्रांड प्रवर्तन की कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय हाई-फैशन पत्रिकाओं में बर्किन बैग डिजाइन की वैश्विक पहचान से जुड़े साक्ष्य शामिल थे।

फ्रेंच लग्ज़री ब्रांड हर्मीस के चार ट्रेडमार्क आइकॉनिक बिर्किन बैग का थ्री-डायमेंशनल (3D) आकार, Hermès वर्ड मार्क और ब्रांड से जुड़े दो स्टाइलिश लोगो को दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को भारत में “जाने-माने मार्क” (Well-Known Marks) का दर्जा दिया। आदेश की प्रति सोमवार देर रात जारी की गई। जस्टिस तेजस करिया ने यह फैसला हर्मीस इंटरनेशनल द्वारा भारतीय फर्म मैकी लाइफस्टाइल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन और पासिंग-ऑफ मामले की सुनवाई के दौरान सुनाया। पेरिस-स्थित इस ब्रांड ने आरोप लगाया था कि भारतीय कंपनी बिना अनुमति के ऑनलाइन मिलते-जुलते हैंडबैग का विज्ञापन कर रही थी। जवाब में, मैकी लाइफस्टाइल ने एक हलफनामा दाखिल कर दावा किया कि उसने हर्मीस के डिज़ाइन से मिलते-जुलते किसी भी उत्पाद का न तो निर्माण किया और न ही बिक्री की है, साथ ही अपना व्यावसायिक संचालन पहले ही बंद कर दिया है।

इस आश्वासन के बाद कोर्ट ने हर्मीस की उस याचिका की जांच शुरू की, जिसमें उसके ट्रेडमार्क को ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999 के तहत “जाने-माने मार्क” का दर्जा देने का अनुरोध किया गया था। अपने दावे को मजबूत करने के लिए हर्मीस ने विभिन्न देशों में दर्ज ट्रेडमार्क पंजीकरण, लगातार ब्रांड प्रवर्तन के साक्ष्य और हाई-फ़ैशन पत्रिकाओं में बिर्किन बैग के डिज़ाइन की वैश्विक पहचान से जुड़े दस्तावेज अदालत में पेश किए।

हर्मीस ने दावा किया कि ब्रांड के साथ लंबे जुड़ाव के चलते बिर्किन बैग की विशिष्ट आकृति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान और प्रतिष्ठा हासिल की है। पेश किए गए साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद जस्टिस करिया ने माना कि हर्मीस के ट्रेडमार्क को विदेशों में विभिन्न उद्योग समूहों से मान्यता मिली है। अदालत ने यह भी कहा कि भारत सहित अन्य देशों में ब्रांड द्वारा अपने अधिकारों की लगातार रक्षा किए जाने से स्पष्ट होता है कि ये निशान विशिष्ट, अनोखे और व्यापक रूप से जाने-माने हैं।

ऑर्डर में कहा गया, “वादी (हर्मीस) की लंबे समय से बनी प्रतिष्ठा और विभिन्न न्यायक्षेत्रों में उसके ट्रेडमार्क के लगातार उपयोग से एक महत्वपूर्ण और सतत व्यावसायिक उपस्थिति स्थापित होती है। रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेज़ यह भी दर्शाते हैं कि इन ट्रेडमार्क का उपयोग और प्रमोशन कई दशकों से जारी है, जिसे भारी प्रमोशनल निवेश और वैश्विक फैशन उद्योग में स्थायी दृश्यता का समर्थन प्राप्त है।” इसी आधार पर अदालत ने निर्णय दिया कि बिर्किन बैग का 3D कॉन्फ़िगरेशन, “हर्मीस” वर्ड मार्क तथा इसके स्टाइलिश लोगो, ट्रेड मार्क्स एक्ट, 1999 की धारा 2(1)(zg) के तहत ‘जाने-माने ट्रेडमार्क’ घोषित किए जाने की कानूनी कसौटी को पूरा करते हैं।

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