दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने बुधवार को अभिनेता शाहरुख खान(Shah Rukh Khan), उनकी पत्नी गौरी खान(Gauri Khan) की प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और नेटफ्लिक्स (Netflix)को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े(Sameer Wankhede) द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे के जवाब में भेजा गया है। वानखेड़े ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि वेब सीरीज ‘द बास्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड’ में उन्हें नकारात्मक रूप में दिखाया गया है और इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कोर्ट से इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण और प्रसार पर रोक लगाने की मांग की है।

जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने न केवल रेड चिलीज और नेटफ्लिक्स, बल्कि एक्स कॉर्प , गूगल, मेटा और अन्य प्लेटफॉर्म्स को भी समन जारी करते हुए सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

वानखेड़े का दावा- छवि को नुकसान, मांगे 2 करोड़

वानखेड़े ने अपनी याचिका में कहा है कि इस वेब सीरीज में उन्हें जानबूझकर बदनाम करने की कोशिश की गई है। उनका दावा है कि यह सीरीज न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) जैसी ड्रग-विरोधी एजेंसियों की विश्वसनीयता को भी कमजोर करती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सीरीज ऐसे समय में आई है, जब वानखेड़े और शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान से जुड़ा मामला अब भी बॉम्बे हाई कोर्ट और मुंबई की एनडीपीएस विशेष अदालत में विचाराधीन है। वानखेड़े ने अदालत से 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है, जिसे वे टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल को कैंसर मरीजों के लिए दान करना चाहते हैं। इसके अलावा, उन्होंने कई वेबसाइट्स से कथित मानहानिकारक सामग्री हटाने की भी मांग की है।

‘शो का कंटेंट अश्‍लील और आपत्त‍ि जनक, राष्ट्रीय सम्मान अपमान’

याचिका में एक विशेष सीन पर भी आपत्ति जताई गई है, जिसमें एक किरदार ‘सत्यमेव जयते’ कहने के बाद अश्लील इशारा करता है। वानखेड़े का कहना है कि यह राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 का गंभीर और संवेदनशील उल्लंघन है। उनका तर्क है कि इस दृश्य के जरिए अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की गई है, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के प्रावधानों का भी उल्लंघन करती है।

वानखेड़े ने आरोप लगाया कि यह सीरीज जानबूझकर उन्हें बदनाम करने और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) जैसी संस्थाओं की साख को कमजोर करने के उद्देश्य से बनाई गई है। उन्होंने कहा कि शो में दिखाया गया कंटेंट ड्रग कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों पर जनता के विश्वास को कम करता है।

क्या है विवाद?

आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई वेब सीरीज ‘द बास्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड’ ने न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को धूमिल किया है, बल्कि देश की ड्रग्स-रोधी एजेंसियों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाने की कोशिश की है। वानखेड़े के अनुसार, यह सीरीज उनके खिलाफ सुनियोजित तरीके से बनाई गई है ताकि उन्हें एक नकारात्मक रोशनी में दिखाया जा सके। उनका दावा है कि सीरीज के निर्माता और प्रसारक इस बात से भलीभांति परिचित थे कि आर्यन खान ड्रग्स केस, जिसमें वे जांच अधिकारी थे, अभी भी अदालत में लंबित है। इसके बावजूद, कथित रूप से इस केस से जुड़े प्रसंगों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।

अब क्या होगा?

‘द बास्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड’ को लेकर छिड़ा विवाद अब मनोरंजन जगत से आगे बढ़कर कानूनी गलियारों तक पहुंच गया है। समीर वानखेड़े की मानहानि याचिका के बाद, दिल्ली हाई कोर्ट ने शाहरुख खान, उनकी पत्नी गौरी खान की कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट और नेटफ्लिक्स सहित अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया है।

यह मामला अब उन सीमाओं पर सवाल खड़ा करता है, जहां रचनात्मक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है। क्या यह वेब सीरीज वाकई किसी की छवि को धूमिल करने के इरादे से बनाई गई थी, या यह मात्र एक काल्पनिक प्रस्तुति है. इसका फैसला अदालत ही करेगी।

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