नई दिल्ली. महरौली स्थित 600 साल पुरानी ध्वस्त की गई मस्जिद पर शब-ए-बारात के मौके पर नमाज अदालत करने की अनुमति देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया गया है. दिल्ली वक्फ बोर्ड (डीडब्ल्यूबी) की प्रबंध समिति द्वारा दायर आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अदालत इस स्तर पर कोई निर्देश जारी करने के लिए इच्छुक नहीं है, क्योंकि मामला पहले से ही 2022 से लंबित याचिका में विचाराधीन है.

दिल्ली वक्फ बोर्ड की मैनेजिंग कमिटी ने इस संबंध में याचिका दाखिल की थी. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पुरुषैंद्र कुमार कौरव ने कहा कि कोर्ट ने उस स्थल पर यथास्थिति के निर्देश दिए हैं जो कि अब दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए के कब्जे में है. जस्टिस कौरव ने साथ ही कहा कि इस मामले में मुख्य याचिका पर कई बार सुनवाई हुई है और मामले पर निपटारे के लिए 7 मार्च को आखिरी सुनवाई होगी. ऐसी स्थिति में कोर्ट कोई निर्देश नहीं दे सकता.

बता दें कि शब-ए-बारात (प्रायश्चित की रात) पर मुसलमान अपने और अपने पूर्वजों के पापों के लिए अल्लाह से माफ़ी मांगते हैं. जस्टिस पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति के याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत ने उस साइट पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है.

बता दें कि हाई कोर्ट ने 5 फरवरी को डीडीए को निर्देश दिए थे कि वह उस स्थान पर यथास्थिति बनाए जहां कभी मस्जिद थी. वक्फ बोर्ड की ओर से मस्जिद को गिराए जाने को गैरकानूनी करार दिया गया है जबकि डीडीए ने अपने बचाव में कहा कि धार्मिक समिति की 4 जनवरी की सिफारिश के अनुसार मस्जिद ढहाई गई है.  इसमें कहा गया है कि धार्मिक समिति द्वारा दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ को सुनवाई का अवसर भी दिया गया था जिसके बाद यह निर्णय लिया गया. हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि धार्मिक समिति के पास विध्वंस के आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है.