नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से लाडली योजना से जुड़ी एक जनहित याचिका पर उसका रुख जानना चाहा है. इसमें योजना को उसके असल मकसद को पूरा करने के लिए इसे ढंग से लागू करने की मांग की गई है.
इस योजना का उद्देश्य बच्चियों की शिक्षा और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करके उनकी सामाजिक स्थिति को मजबूत करना है.चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच के सामने दायर याचिका में दावा किया गया है कि योजना के तहत उपलब्ध 364 करोड़ रुपये की राशि का कोई इस्तेमाल नहीं किया गया है.
वकील विभोर गर्ग और केशव तिवारी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार ने 1 जनवरी 2008 को ‘दिल्ली लाडली योजना’ शुरू की थी, जिसके तहत लाभार्थी की उम्र 18 साल होने पर उसके खाते में 1 लाख रुपये सरकार द्वारा जमा कराए जाते हैं. याचिका में दावा किया गया कि योजना के तहत उपलब्ध धनराशि का सही तरीके से वितरण नहीं किया जा रहा है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगस्त के लिए सूचीबद्ध की.
क्या है मामला
आकाश गोयल नाम के शख्स ने अपनी याचिका में कहा कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, लाडली योजना की 21 साल से अधिक उम्र की 1,82,894 लाभार्थियों की 364 करोड़ रुपये से अधिक राशि भारतीय स्टेट बैंक के पास पड़ी है और यह राशि सही तरीके से वितरित की जानी चाहिए. एडवोकेट विभोर गर्ग और केशव तिवारी के जरिए दायर याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने एक जनवरी 2008 को ‘दिल्ली लाडली योजना’ शुरू की थी.