दिल्ली. लोगों की सहूलियत के लिए कंपनियां सारी चीजें आनलाइन उपलब्ध करा रही हैं. दवा से लेकर दारू तक औऱ फोन से लेकर फ्रिज तक. लेकिन अब कोर्ट आनलाइन कंपनियों पर सख्त हो गया है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में ऑनलाइन फार्मेसी को बंद करने का नोटिस जारी किया है. ऑनलाइन फार्मेसी कम्पनियाँ धड़ल्ले से विज्ञापन कर लुभावने ऑफर के जरिये गैर क़ानूनी दवा बेच रही थी. हाईकोर्ट ने ऑनलाइन दवा बेचे जाने पर सख्त नाराजगी दिखाई है.

गौरतलब है ति आनलाइन फार्मेसी को बंद करने को लेकर एक जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई थी. जिसमें कई कम्पनियाँ जो वेबसाइटों और एप के जरिए दवाओं की बिक्री कर रही हैं उन पर रोक लगाने की अपील की गई थी.

न्यायमूर्ति विभू बकरू की बेंच ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और खाद्य एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त को नोटिस जारी किया है. एडवोकेट अमित गुप्ता की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि भारत में ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पूरी तरह अवैध है उन्हें किसी तरह की क़ानूनी मान्यता नहीं दी गई है. ऑनलाइन फार्मेसी पर प्रतिबन्ध लगाने को लेकर दक्षिण केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन की याचिका में कहा गया है कि कई बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियाँ बगैर किसी नियामक के दवाओं की बिक्री ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कर रही हैं. जो न सिर्फ लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है बल्कि लोगों की जान के लिए खतरा भी है.

महाराष्ट्र के पूर्व एफडीए कमिश्नर महेश झगड़े के मुताबिक दवाओं की बिक्री विधायी अधिनियमों और नियमों, जैसे ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स नियम 1945, फार्मेसी एक्ट 1948, फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015, इंडियन मेडिकल एक्ट, 1956, द्वारा संहिताबद्ध है. मेडिकल एथिक्स रेगुलेशन, 2002, और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1945 जैसे कानून के तहत किये जाने का प्रावधान है. इसके विपरीत जाकर “ऑनलाइन फ़ार्मेसियां ​​किसी भी प्रावधान का पालन नहीं कर रही हैं.

दरअसल ऑनलाइन दवाओं को खरीदने में कई खतरनाक जोखिम  हैं. फर्जी या नकली नुस्खे के कारण नशीली दवाओं के दुरुपयोग की भी सम्भावनायें बराबर बनी रहती हैं. दिल्ली, हरियाणा समेत कुछ राज्यों में यह पाया गया कि कुछ मामलों में दवाओं को बिना किसी पर्चे के आपूर्ति किया जा रहा है. ऑनलाइन फ़ार्मेसियों से नशीली दवाओं के दुरुपयोग व सेल्फ मेडिकेशन को बढ़ावा मिलता है. याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पूर्व में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया के तरफ से ड्रग्स कंसल्टेटिव कमेटी द्वारा गठित “सब-कमेटी” की 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक ई-फार्मेसियों के माध्यम से बिक्री भारत में अवैध साबित हुई थी. हालांकि, सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस मामले की अगली सुनवाई 25 फ़रवरी 2019 को होगी.