दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) को यह अधिकार है कि वह निजी स्कूलों में मुनाफाखोरी और व्यावसायीकरण के मामलों की जांच कर सके। अदालत ने शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया है कि वह दो निजी स्कूलों के खातों की जांच नए सिरे से करे और यह सुनिश्चित करे कि स्कूलों द्वारा वसूली जा रही फीस का सही उपयोग छात्रों के हित में हो रहा है या नहीं।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा निदेशालय को यह देखने का पूरा अधिकार है कि फीस संरचना उचित है या नहीं, और यदि स्कूलों द्वारा अनुचित लाभ या मुनाफा कमाया जा रहा है, तो उसके खिलाफ ज़रूरी कार्रवाई की जाए।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस मामले में विशेष रूप से कहा कि इस आदेश को अब दोबारा चुनौती न दी जाए। अदालत ने कहा कि यह मामला वर्ष 2017 से लंबित है और नियमानुसार शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों के खातों की जांच का अधिकार प्राप्त है। इसे बार-बार चुनौती देने से कोई लाभ नहीं है, बल्कि इससे न्यायिक समय की बर्बादी होती है।
यह मामला दो निजी स्कूलों के छात्रों के अभिभावकों की ओर से दायर किया गया था। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि दिल्ली सरकार के आदेश के बावजूद स्कूल लगातार फीस बढ़ा रहे हैं, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। वहीं, स्कूल प्रशासन की ओर से दलील दी गई कि वे गैर-सहायता प्राप्त (unaided) संस्थान हैं और अपने संचालन खर्च को पूरा करने के लिए फीस में बढ़ोतरी करना आवश्यक है।
वहीं, स्कूलों की ओर से दलील दी गई कि वे गैर-सहायता प्राप्त (unaided) संस्थान हैं और संचालन खर्च वहन करने के लिए फीस में बढ़ोतरी करना आवश्यक है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि शिक्षा निदेशालय को वर्ष 2018 के खातों की जांच से रोका जाए, क्योंकि यह उनके लिए “बहुत कठिन” होगा।
एकल पीठ के निर्णय को रखा बरकरार
इससे पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने भी शिक्षा निदेशालय को निजी स्कूलों के खातों की जांच करने का निर्देश दिया था। स्कूलों ने उस आदेश पर आपत्ति जताई थी। खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा और यह सुनिश्चित किया कि फीस वसूली की जांच पारदर्शिता और छात्रों के हित के लिए की जाए।
याची की बेटी ने कर ली थी खुदकुशी
दुखद पहलू: इस मामले के मुख्य याचिकाकर्ता की दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी ने वर्ष 2024 में आत्महत्या कर ली थी। उस समय याचिका हाईकोर्ट में लंबित थी, लेकिन स्कूल ने बढ़ी फीस नहीं देने के कारण छात्रा का नाम काट दिया था।
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