नई दिल्ली। दिल्ली के जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने बुधवार को विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड को 12 से 15 महीने के अंदर सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड करने के निर्देश दिए. अब डीजेबी अपने सभी बायो गैस प्लांट को अपग्रेड करने का फैसला लिया है, ताकि बायोगैस प्लांट में नालों से निकलने वाली गाद के साथ-साथ सेप्टिक टैंक की गंदगी, गाय के गोबर और नगरपालिका द्वारा जमा कूड़े को भी ट्रीट किया जा सके. अभी बायो-गैस प्लांट केवल सीवेज से आने वाले कीचड़ को ही ट्रीट कर बायो गैस का उत्पादन करते हैं.

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मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि हालांकि इस तरह के कूड़े के निस्तारण की जिम्मेदारी MCD की है, लेकिन DJB मौजूदा लैंडफिल साइटों पर बोझ को कम करने और दिल्ली को साफ करने के लिए इस पहल की अगुआई करेगा. इसके मद्देनजर सभी बायो-गैस संयंत्रों को अपग्रेड किया जाएगा. डीजेबी के पास वर्तमान में बायोगैस संयंत्रों की क्षमता प्रतिदिन लगभग 400 टन की है, जिसमें से 240 एमजीडी कार्यात्मक है. मंत्री ने अधिकारियों को एक साल के भीतर सभी प्लांट को अपनी पूरी क्षमता पर चलाने के निर्देश दिए. दिल्ली सरकार उन्नत तकनीक का उपयोग करने की योजना बना रही है, ताकि सभी तरह के कूड़े को साफ किया जा सके. उन्होंने आगे कहा कि इस कदम से सभी तरह के कूड़े और प्रदूषकों को साफ करने में मदद मिलेगी और शहर की नालियों और नदियों की सफाई में मदद मिलेगी. इसके साथ-साथ लैंडफिल साइटों पर भी बोझ कम होगा. स्वच्छ परिवहन ईंधन को बढ़ावा देने के लिए बायोगैस संयंत्रों से उत्पन्न गैस और बिजली को इलेक्ट्रिक वाहन स्टेशनों और सीएनजी स्टेशनों को आपूर्ति की जाएगी.

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डीजेबी सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को करेगा अपग्रेड

मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी एसटीपी को 12-15 महीने की अवधि के भीतर अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके अपग्रेड करें. पारंपरिक तकनीक के विपरीत जिसमें अपग्रेडेशन प्रक्रिया को पूरा करने में 4-5 साल लगते हैं. अपग्रेड करने की नई पद्धति में मौजूदा संयंत्रों को बिना किसी पेड़ को काटे और आसपास के पर्यावरण को कम से कम प्रभावित करते हुए बेहतरीन मानकों के अनुसार पुनर्जीवित किया जाएगा. इन एसटीपी में ऊर्जा बचाने वाले उपकरणों का उपयोग किया जाएगा. यह कदम कूड़े और अन्य प्रदूषकों के उपचार के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा, जो पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा बनाएगा. मंत्री ने कहा कि डीजेबी को स्वच्छ यमुना के लिए निर्धारित वास्तविक समय सीमा से कम से कम 6 महीने पहले इन सभी कार्यों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए.

सभी बायोगैस संयंत्रों को किया जा रहा है अपग्रेड

बायोगैस संयंत्र एक ऐसी प्रणाली है, जो जैविक रूप से कार्बनिक पदार्थों को निष्क्रिय करती है और उन्हें मीथेन गैस में बदलती है, जिससे आगे सीएनजी या बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है. मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को 20 बायोगैस संयंत्रों को अपग्रेड करने के आदेश दिए, जिससे कि एसटीपी, सेप्टिक टैंक से निकालने वाली गंदगी, डेयरियों से गाय के गोबर और विशेष रूप से मंडियों और आसपास की सोसायटियों/कॉलोनियों से निकलने वाले ठोस कचरे का प्रबंधन सुनिश्चित हो सके. वर्तमान में डीजेबी के बायोगैस संयंत्रों की क्षमता प्रति दिन लगभग 400 टन की है, जिसमें से 240 एमजीडी कार्यात्मक है. मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को एक साल के भीतर इनके क्षमता 100 फीसदी करने के निर्देश दिए.

दिल्ली जल बोर्ड फार्महाउसों और संस्थानों को एसटीपी से निकलने वाले ट्रीटेड पानी की आपूर्ति करेगा

बैठक में सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को एसटीपी के ट्रीटेड पानी को अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछाने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए. इसके अलावा सतबारी, सुल्तानपुर और जौनपुर में मौजूद फार्म हाउसों और संस्थानों को ट्रीटेड पानी की सप्लाई करने का निर्णय भी लिया गया, जो वर्तमान में बागवानी जरूरतों के लिए भूजल का इस्तेमाल कर रहे हैं. दिल्ली जल बोर्ड इस वक़्त फार्म हाउसों को 15 एमजीडी से अधिक पानी की सप्लाई कर सकता है, ताकि ट्यूबवेल बंद हो सकें और भूजल का उपयोग कम से कम हो सके और पानी को बचाया जा सके. डीजेबी ने ट्रीटेड पानी की आपूर्ति के लिए एक निश्चित टैरिफ मॉडल अपनाने का फैसला किया है. 10,000 रुपये प्रति एकड़ की एकमुश्त बुनियादी ढांचे की लागत के अलावा उपभोक्ता से प्रति माह 5000 रुपये प्रति एकड़ का शुल्क लिया जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि लोग बागवानी, फर्श धोने और फ्लशिंग के लिए ट्रीटेड एसटीपी के पानी का उपयोग करने के लिए प्रेरित हों.