नई दिल्ली: फर्जी कंपनियों द्वारा जीएसटी चोरी के मामले में दिल्ली सबसे आगे है, वित्त वर्ष 23-24 की तीसरी तिमाही में 483 कंपनियों का पता चला है, जिनकी कुल राशि 3,028 करोड़ रुपये थी. केंद्र सरकार के एक सर्वे के जारी आंकड़ों के अनुसार देशभर में 4,153 ऐसी कंपनियां पाई गईं, जो 12,036 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट की चोरी कर रही थीं. इसमें दिल्ली में की गई कार्रवाई के परिणाम स्वरूप 10 करोड़ रुपये के टैक्स क्रेडिट रोके गए और 11 गिरफ्तारियां हुईं.

वित्तीय वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में फर्जी फर्मों द्वारा सबसे अधिक संख्या में दिल्ली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी करने के मामले सामने आए हैं. वित्त वर्ष 23-24 की तीसरी तिमाही में अधिकारियों द्वारा पकड़ी गई फर्जी जीएसटी फर्मों की संख्या में महाराष्ट्र 926 और राजस्थान 507 के बाद दिल्ली तीसरे स्थान पर थी. महाराष्ट्र और राजस्थान में जीएसटी चोरी की संदिग्ध राशि क्रमशः 2,201 करोड़ और 197 करोड़ आंकी गई थी. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, केंद्रीय जीएसटी और संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारें फर्जी पंजीकरण की पहचान करने के लिए मई 2023 से एक अभियान चला रही हैं. अनुमानित जीएसटी चोरी के मामले में दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश में 1,645 करोड़ रुपये, आंध्र प्रदेश में 765 करोड़ रुपये और हरियाणा 624 करोड़ रुपये हैं.

विशेष अभियान की शुरुआत के बाद से देशभर में 44,015 करोड़ रुपये की संदिग्ध आइटीसी चोरी में शामिल कुल 29,273 फर्जी फर्मों का पता लगाया गया है. जबकि इस बारे में दिल्ली सरकार से कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हुई है, व्यापार और कर विभाग के अधिकारियों ने दावा किया कि जीएसटी नेटवर्क में फर्जी फर्मों के प्रवेश को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं. 2022-23 में व्यापार और कर विभाग के साथ पंजीकरण के लिए नई कंपनियों से प्राप्त 1.46 लाख आवेदनों में से, लगभग 50,000 को “मानित अनुमोदन” मिला, जिसका मतलब है कि वे दस्तावेजों की मैन्युअल जांच बगैर जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करने में कामयाब रहे. क्योंकि अधिकारी निर्धारित सात दिनों के भीतर सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं कर सके.