नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अधिकारों पर केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया है. नए अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल के पास ही रहेगा. इस नए अध्यादेश के बाद एक बार फिर केंद्र और दिल्ली के बीच जंग छिड़ गई है.

दिल्ली सरकार इस अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है.  भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में तबादलों और तैनाती से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश का स्वागत करते हुए आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार सेवा मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले की आड़ में अधिकारियों को डरा-धमका रही है और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है.

दिल्ली की मंत्री आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वाला है मोदी सरकार का ये अध्यादेश, जो ताकत सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने चुनी हुई सरकार को दी, ये उसकी ताकत को गैर संवैधानिक तरीके से छीनने का प्रयास है.

उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब है- दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुनकर भेजा है, तो 3 विषयों को (लैंड, लॉ एंड ऑर्डर, पुलिस) छोड़कर निर्णय लेने की ताकत मुख्यमंत्री के पास है. एलजी को राज्य सरकार के निर्णय को मानना चाहिए.

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर लाए गए केंद्र के अध्यादेश को फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनैती देगी. संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार का एक ही मकसद है कि किस तरह से दिल्ली सरकार को जनता के हित में काम करने से रोका जाए.

कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा दिल्ली में ग्रुप-ए के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने वाला अध्यादेश पारित करने के एक दिन बाद केंद्र ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट से उसके 11 मई के संविधान पीठ के उस आदेश की समीक्षा करने की अपील की है, जिसमें सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी शक्तियों को राष्ट्रीय राजधानी की निर्वाचित सरकार सौंप दिया गया था.   

क्या है केंद्र का अध्यादेश

गर्वनमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस 2023 के जरिए केंद्र सरकार ने नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी (NCCSA) का गठन कर दिया है. राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग और सेवा से जुड़े फैसले अब एनसीसीएसए के माध्यम से होंगे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अथॉरिटी के मुखिया होंगे, लेकिन फैसला बहुमत से होगा. एनसीसीएसए में दिल्ली के सीएम के अलावा मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव गृह सदस्य होंगे. किसी भी विवाद की स्थिति में एलजी का फैसला अंतिम होगा. केंद्र के अधीन विषयों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में अथॉरिटी ग्रुप ए और दिल्ली में सेवा दे रहे DANICS अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की सिफारिश करेगी, जिस पर अंतिम मुहर एलजी ही लगाएंगे. इसका मतलब है कि अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास वह अधिकार नहीं रह गया, जो सुप्रीम कोर्ट से उन्हें मिला था. अध्यादेश को 6 महीने में संसद से पास करना होगा. इसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा.