Child Trafficking Gang: रेलवे स्टेशन से बच्चा चोरी करने वाले शातिर गिरोह का दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने पर्दाफाश किया है. अक्टूबर 2024 के बाद लगातार जनवरी में दूसरी बार रेलवे स्टेशन से बच्चा चोरी करने वाली महिला और उसके गिरोह को पुलिस ने पकड़ लिया है. महिला छोटी बच्ची और बड़े बच्चों की चोरी करती थी और उसे डॉक्टर के माध्यम से नि:संतान दंपत्तियों को बचे दिया करती थी.
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पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अक्टूबर के बाद जनवरी में हुए बच्चा चोरी के वारदात में घटना के बाद ‘महिला को बदरपुर ले जाने वाले ऑटो-रिक्शा की पहचान कर ली गई. इस बार भी, ड्राइवर को कुछ भी पता नहीं था. लेकिन ड्राइवर ने पुलिस को बताया कि महिला ने किसी को फोन किया और दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति से उन्हें लेने के लिए कहा.
पुलिस की टीम ऑटो-रिक्शा ड्राइवर के साथ उस जगह पर पहुंची जहां अपहरणकर्ता को छोड़ा था. पुलिस इंस्पेक्टर पासवान ने कहा, ‘पहले के मामलों में भी, हमने उस स्थान की पहचान की थी जहां ऑटोरिक्शा ने उसे छोड़ा था. फिर हमने दो स्थानों से डेटा डंप का मिलान किया और उस विशेष समय पर सक्रिय हर नंबर को स्कैन किया.’ हालांकि, पुलिस ने उसके कॉल डिटेल रिकॉर्ड को स्कैन किया और कुछ ऐसे नंबरों पर ध्यान केंद्रित किया. हमें एक संदिग्ध नंबर मिला, जो कि आरती नामक महिला का था. इंस्पेक्टर समारिया ने कहा, आरती एक नंबर पर सबसे ज्यादा बात करती थी. वो ता सूरज नामक शख्स का.
आरती-सूरज नाम के शख्स ने खोले राज
पुलिस ने आरती और सूरज को पकड़ लिया. पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले की रहने वाली आरती ने बताया कि उसने 17 साल पहले शकूर नाम के एक व्यक्ति से शादी की थी और उनके दो बेटे हैं. अलग होने से पहले वे सात साल तक साथ रहे. तलाक के बाद उसने अपने बच्चों को अपने पहले पति के पास छोड़ दिया और एक परिचित के साथ फरीदाबाद चली गई. 2017 में, उसने यूपी के बदायूं जिले के निवासी सूरज से शादी की, जो एक दिहाड़ी मजदूर है. उनके दो बच्चे हैं – एक छह साल का बेटा और एक 15 महीने का लड़का.
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आरती ने पुलिस को बताया कि दो साल पहले फरीदाबाद में उसकी मुलाकात प्रिया नाम की एक महिला से हुई थी. आरती ने पुलिस को बताया, ‘उसने बताया कि वह डॉक्टर है और अपना क्लीनिक चलाती है. कई निःसंतान दंपत्तियों को जानती है जो बच्चे गोद लेने के लिए अच्छी खासी रकम देने को तैयार हैं. उसने यह भी बताया कि वह कई गिरोहों को जानती है जो बच्चों को चुराते हैं और जानबूझकर उनके अंग तोड़ देते हैं और उनसे भीख मंगवाते हैं.’
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पुलिस के अनुसार आरती की भूमिका बच्चों का प्रबंध करना था. वह ज़्यादातर गरीब, दलित और बेघर लोगों के बच्चों का अपहरण करती थी क्योंकि वो जानती थी कि कुछ समय बाद कोई भी उनके बच्चों की तलाश नहीं करेगा. एक बार जब वह किसी बच्चे का अपहरण कर लेती थी तो वह कांता और निम्मी दोनों को तस्वीरें भेजती थी. सौदा तय होने के बाद, आरती और सूरज बच्चे के जैविक माता-पिता होने का नाटक करते और जब बच्चे को पालक माता-पिता को सौंप दिया जाता तो वे गोद लेने के कागजात पर हस्ताक्षर कर देते थे ताकि यह वैध लगे.
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कांता नामक एक महिला कुछ डॉक्टरों और कई निःसंतान दंपत्तियों के संपर्क में थी. वह पैसों की सख्त जरूरत वाली महिलाओं से नवजात शिशुओं को भी खरीदती थी. इंस्पेक्टर पासवान ने बताया, ‘कांता का कॉन्टेक्ट आरती और दूसरे सप्लायरों से था. इनसे बात करते समय कोड का इस्तेमाल करती थी. ‘छोटी फाइल’ का इस्तेमाल बच्ची के लिए किया जाता था. बच्चे को ‘बड़ी फाइल’ कहा जाता था. जहां एक बच्ची को 50,000 से एक लाख रुपये में बेचा जाता था, वहीं एक बच्चे की कीमत 2 लाख रुपये से 4 लाख रुपये के बीच तय की जाती थी
कांता ने आरती से यह भी कहा था कि अगर वह प्रसव के बाद अपना नवजात बच्चा दे देगी तो वह उसे 2.5 लाख रुपये की जमीन का टुकड़ा देकर मुआवजा देगी. इसी तरह निम्मी नामक महिला का भी एक चेन है. वो दिल्ली में भीख मांगने वाले गिरोहों को अपहृत बच्चों की आपूर्ति करने में संलिप्त थी.
आरती की निम्मी से भी कई दफे बात होती थी. पुलिस ने बताया कि निम्मी के मोबाइल फोन की जांच के बाद इस चेन का पता चला. इंस्पेक्टर समारिया ने बताया, ‘आरती के अलावा वह पुरानी दिल्ली के मलका गंज में एक अन्य सप्लायर के संपर्क में थी, जिसकी पहचान केवल पीबी के रूप में हुई है. निम्मी एक महिला के संपर्क में भी थी, जो उसके लिए खरीदार तय करती थी.
चोरी किए बच्चे बरामद
दिल्ली पुलिस ने आरती द्वारा अपहृत दोनों बच्चों को बरामद कर लिया है. अक्टूबर में अपहृत ढाई साल के बच्चे को आरती ने निम्मी को बेचा था. आरती का लोनी के एक व्यक्ति के साथ सौदा 3 लाख रुपये में तय हुआ था. पुलिस के अनुसार ने आगे बच्चे को लोनी के एक दंपति को बेच दिया. पुलिस ने पाया कि दंपति की दो बेटियां थीं और वे एक बेटा चाहते थे.
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