फरवरी 2020 में हुए साम्प्रदायिक दंगों के मामले में आरोपी को ‘अनावश्यक रूप से प्रताड़ित’ किए जाने पर दिल्ली पुलिस पर कोर्ट ने 25000 रुपये जुर्माना लगाया और कहा कि इन मामलों में पुलिस कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निजी हस्तक्षेप करने के लिए बार-बार दिए गए निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया गया है.
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने शिकायतों को अलग करने और सभी सातों आरोपियों के मामले में समान रूप से आगे जांच करने के लिए एक अर्जी दायर करने में देरी के लिए पुलिस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायाधीश ने कहा कि इस अदालत ने डीसीपी (उत्तर-पूर्व), जॉइंट पुलिस कमिश्नर (पूर्वी रेंज) और पुलिस कमिश्नर, दिल्ली को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामलों में उनके निजी हस्तक्षेप करने के बार-बार निर्देश दिए.
हालांकि ऐसा लगता है कि इन सभी निर्देशों को नजरअंदाज किया गया है. अदालत ने पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को 12 अक्टूबर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे से संबंधित इन मामलों की ठीक से जांच और तत्परता से सुनवाई के लिए उठाए गए कदमों का विस्तृत विवरण पेश करने का निर्देश दिया था.
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