राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार सातवें दिन भी ‘खतरनाक’ बना हुआ है. मंगलवार की सुबह, दिल्ली का औसत AQI 488 था, जो इस मौसम का सबसे बुरा AQI है, और दिल्ली के आनंद विहार सहित कई इलाकों का AQI 500 हो गया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने मंगलवार सुबह अलीपुर में 500, अशोक विहार में 500, बवाना में 500, डीटीयू में 496, द्वारका में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, मुंडका में 500, वजीरपुर में 500, आर के पुरम में 494, ओखला में 499, नरेला में 491, विवेक विहार में 500 AQI दर्ज किया गया.
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दिल्ली में GRAP 4 भी लागू है, जो सरकार द्वारा प्रदूषण को कम करने का प्रयास है. हालाँकि, कई प्रयासों के बावजूद AQI अभी भी बदतर नहीं हुआ है.
दिल्ली में सोमवार को प्रदूषण ने सारी सीमाएं लांघ दीं और औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 494 पर रहा, पांच वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ते हुए. कई इलाकों में जहरीले कण पीएम 10 और 2.5 तक पहुंच गए, जिससे लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी हुई, और अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी है. उधर, धुंध के कारण दृश्यता का स्तर काफी गिर गया, जिससे 180 विमानों ने दिल्ली एयरपोर्ट से देरी से उड़ान भरी, 15 डायवर्ट करने पड़े, और दर्जनों रेलगाड़ियां अपने निर्धारित समय से घंटों देरी से चलीं. वहीं, 3 नवंबर 2019 को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 494 पर रहा था, जब दिल्ली में दफ्तरों का समय बदला गया, स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं चलीं, और आप, भाजपा और कांग्रेस में प्रदूषण को लेकर बहस जारी रही.
स्कूल ऑनलाइन चलेंगे
दिल्ली सरकार ने मंगलवार से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई ऑनलाइन करने का ऐलान किया. मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “कल से 10वीं और 12वीं के लिए भौतिक कक्षाएं स्थगित रहेंगी और अगले आदेश तक पढ़ाई ऑनलाइन होगी.” “शिक्षा निदेशालय, एमसीडी, एनडीएमसी और डीसीबी के तहत 10वीं और 12वीं सहित सभी कक्षाओं के सरकारी, गैर सरकारी स्कूल अगले आदेश तक ऑनलाइन मोड में चलेंगे,” एक अधिसूचना में कहा गया था.
डॉक्टरों ने दी सलाह
दिल्ली की वायु गुणवत्ता से चिंतित डॉक्टरों ने बाहरी गतिविधियों को सीमित करने, शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थ की उपस्थिति सुनिश्चित करने और घर में ठोस कणों के स्तर को कम करने के लिए एचईपीए फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने की सलाह दी है.
गुरु तेग बहादुर अस्पताल में सामुदायिक चिकित्सा के रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. रजत शर्मा ने कहा कि प्रदूषण के इस स्तर पर एन95 मास्क पहनना एक विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है क्योंकि स्वस्थ व्यक्ति भी सांस संबंधी बीमारियों और अन्य बीमारियों का शिकार हो सकते हैं.
सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर उज्ज्वल पारख ने कहा कि लोगों को बहुत सतर्क रहना चाहिए और यथासंभव बाहरी गतिविधियों से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि एन 95 मास्क बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं क्योंकि सर्जिकल या कपड़े के मास्क अक्सर चेहरे पर फिट नहीं आते और पर्याप्त मात्रा में कणों को रोक नहीं सकते.
डॉ. पारख ने कहा कि एन95 और एन99 मास्क सिर्फ ठोस कणों (पीएम 2.5 और पीएम 10) को रोकने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और नियमित रूप से अपनी दवाएं लेनी चाहिए.
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