नई दिल्ली . दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की जगह लेने वाला विधेयक लोकसभा में पारित हो गया. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

यह विधेयक दिल्ली में अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा.. सदन में चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री ने दावा किया कि विधेयक पारित होने के बाद आम आदमी पार्टी विपक्षी गठबंधन से बाहर हो जाएगी.. उन्होंने कहा, विपक्ष अपने गठबंधन में भले ही कुछ और दलों को जोड़ लाए, पर अगले प्रधाननमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे.

आप सरकार को घेरा शाह ने कहा, दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारें रही हैं, पर विवाद नहीं हुआ.. वर्ष 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार आने पर अधिकारों का झगड़ा शुरू हो गया.. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार घोटालों को छिपाने के लिए अधिकार मांग रही है. उन्होंने अन्य घोटालों का भी उल्लेख किया.

देश की भलाई के लिए बिल शाह ने कहा, नया गठबंधन बनाने के कई प्रकार होते हैं, पर विधेयक और कानून देश के भले के लिए लाया जाता है. इसलिए विधेयक का विरोध और समर्थन देश के भले के लिए करें.

फैसले का उल्लंघन नहीं गृह मंत्री ने कहा कि कुछ सदस्य विधेयक को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन बता रहे हैं, लेकिन कोर्ट के फैसले के मनपसंद हिस्से की बजाय पूरा संदर्भ दिया जाना चाहिए. शाह ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले में स्पष्ट है कि अनुच्छेद 239 ए. ए. में संसद दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के विषय पर कानून बना सकती है.

दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र, इसके लिए विशेष प्रावधान

शाह ने कहा, दिल्ली न पूर्ण राज्य है, न पूर्ण संघ शासित प्रदेश.. राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते अनुच्छेद 239 ए.ए में इसके लिए विशेष प्रावधान है. इसके तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र या इससे जुड़े विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है.

आप सांसद रिंकू पूरे सत्र के लिए निलंबित

आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के सामने कागज फाड़कर फेंकने पर वर्तमान मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया.. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि आप सदस्य को निलंबित किया जाए.. उनके प्रस्ताव के बाद सांसद को निलंबित कर दिया गया.

क्यों लाया गया है विधेयक?

सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को कहा था कि दिल्ली सरकार के नौकरशाहों के स्थानांतरण और पदस्थापना सहित सेवाओं पर नियंत्रण दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास है. केंद्र सरकार ने 19 मई को कोर्ट के इस फैसले को रद्द करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया था. इस अध्यादेश की जगह ही विधेयक ले रहा है. दिल्ली में ‘आप’ ने विधेयक को अलोकतांत्रिक बताया.