नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मयूर विहार स्थित घडौली डेयरी पार्क का दौरा कर वहां पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी लागू करने वाला दिल्ली देश का पहला और अकेला राज्य है. दिल्ली में अब डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट में आने वाले कम से कम 80 फीसदी पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन करना अनिवार्य है. दिल्ली को हरा-भरा रखने के लिए हम हर साल नए पेड़ भी लगा रहे हैं और बड़े पेड़ों को ट्रांसप्लांट भी कर रहे हैं. मयूर विहार के घडौली डेयरी पार्क में ट्रांसप्लांट 220 में से 190 पेड़ फिर से हरे भरे हो गए हैं. सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में पहले किसी डेवलमेंट के प्रोजेक्ट में एक पेड़ काटने पर 10 नए पौधे लगाने होते थे, लेकिन अब 10 नए पौधे लगाने के साथ 80 फीसदी पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन भी करना होगा. दिल्ली सरकार पर्यावरण को लेकर बेहद गंभीर है, इसी का परिणाम है कि दिल्ली में ट्री कवर 19.97 फीसद से बढ़कर 23 फीसदी हो गया है. पॉलिसी के लागू होने के बाद ट्रांसप्लांट किए गए कुल पेड़ों में से 54 फीसदी जीवित बचे हैं. कुछ जगहों पर ट्री ट्रांसप्लांटेशन की सफलता और असफलता को समझने के लिए देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से ऑडिट कराया जाएगा.
पहले दिल्ली का ट्री कवर 19.97 फीसदी था, अब यह बढ़कर हुआ 23 फीसदी
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम जानते हैं कि बड़े-बड़े शहरों में जैसे-जैसे विकास होता जा रहा है, वहां नई सड़कें बनती जा रही हैं, बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनती जा रही है. इसी के साथ बड़ी तादाद में पेड़ काट दिए जा रहे हैं. हम जानते हैं कि पेड़ हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं. ऐसे में दिल्ली के लोगों के लिए एक खुशखबरी है कि जब हमारी सरकार बनी थी, उसके पहले दिल्ली का जो ट्री कवर था, वो 19.97 फीसदी था, लेकिन अब ये बढ़कर 23 फीसदी पर पहुंच गया है.
पहले एक पेड़ काटने पर 10 नए पौधे लगाने की पॉलिसी थी- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हर साल बड़े स्तर पर नए पेड़ लगाए जाते हैं. अब ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी ट्री कवर क्षेत्र बढ़ाने में बड़ा सहयोग कर रही है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहले पॉलिसी थी कि अगर आप एक पेड़ काटोगे, तो 10 नए पौधे लगाओगे. जिस पेड़ को काटा गया, वो पेड़ तो बड़ा था, लेकिन उसकी जगह छोटे-छोटे 10 पौधे लगा दिए. उन 10 छोटे-छोट पौधे से उसकी भरपाई तो नहीं कर सकते, क्योंकि पेड़ इतना बड़ा होता है, जो काफी छांव दे रहा था. ऊपर से उन 10 छोटे-छोटे पौधों में से भी कितने बचेंगे, यह कहा नहीं जा सकता. इसलिए दिल्ली सरकार ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी लाई. अभी तक किसी राज्य ने यह हिम्मत नहीं की है, जो हमने की है. अब अगर आप पेड़ काटोगे तो 10 नए पौधे तो लगाने ही हैं, उसके साथ-साथ जो पेड़ कटेगा, उसे बेकार नहीं होने देना है. अब विज्ञान इतनी तरक्की कर गई है कि उस पेड़ को मिट्टी के साथ जड़ समेत उठाकर दूसरी जगह ले जाकर लगा सकते हो. इस तकनीक को लागू करके हम लोगों ने ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी बनाई. इस पॉलिसी के तहत हमने कहा कि अब जितने भी प्रोजेक्ट होंगे, उसमें कम से कम 80 फीसदी पेड़ तो ट्रांसप्लांटेशन करने ही होंगे.
ट्रांसप्लांट किए गए कुल पेड़ों में से 54 फीसदी पेड़ जीवित
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि घडौली डेयरी पार्क में 220 पेड़ ट्रांसप्लांटेशन किए गए हैं. इन 220 में से 190 पेड़ बच गए हैं और अभी तक जिंदा हैं. यहां ज्यादातर पेड़ फरवरी से पहले ट्रांसप्लांट किए गए हैं. इनमें से कई सारे पेड़ हरे-भरे हैं, लेकिन करीब 30 पेड़ खराब हुए हैं. पूरे ट्री ट्रांसप्लांटेशन में हमारे फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने बहुत अच्छा काम किया है. एक अलग से ट्री ट्रांसप्लांटेशन सेल बना दिया गया है, जो ट्री ट्रांसप्लांटेशन की निगरानी करता है. अब हम देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से इसको ऑडिट कराएंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि ऐसा क्यों है कि कुछ जगह पर बहुत सफलता मिली और कुछ जगह पर सफलता नहीं मिली.
केजरीवाल सरकार ने पेड़ लगाकर पार्क को बनाया सुंदर
पेड़ों को ट्रांसप्लांटेशन से पहले दो काम किए जाते हैं. पहला, पेड़ को ट्रांसप्लांटेशन के लिए तैयार किया जाता है. दूसरा, जहां पेड़ को ट्रांसप्लांट करेंगे, वहां की साइट को तैयार करना होता है. प्री-ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया 21 से 60 दिनों तक चलती है. इस दौरान पेड़ को ट्रांसप्लांटेशन के लिए तैयार किया जाता है. उस पेड़ के साइड वाली जड़ों को काट देते हैं, जब कटी जड़ों से नई जड़ें निकलने लगती हैं, तो पता चल जाता है कि पेड़ अब नई जगह ट्रांसप्लांटेशन के लिए तैयार है. उसके बाद जड़ों को बांध देते हैं और चारों तरफ से बांधकर ट्रक पर लादकर ले जाते हैं और नई जगह पर उसका ट्रांसप्लांटेशन कर देते हैं. जहां पर हम पेड़ को ट्रांसप्लांट करते हैं, वहां की मिट्टी की जांच करने के बाद खाद और अन्य पोषक तत्व डालते हैं.
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ट्रांसप्लांटेशन के दौरान अपनाई जाती है यह प्रक्रियाएं
1. ट्रांसप्लांटेशन के लिए पेड़ की पहचान करने के बाद किसी भी दीमक या कीड़ों को हटाने के लिए पेड़ को उसी हिसाब से ट्रीटमेंट किया जाता है, जिसके बाद पेड़ों की जड़ों को काट दिया जाता है और फर्टिलाइजर का छिड़काव किया जाता है.
2. इसके बाद मिट्टी की बैकफिलिंग और फंगल ट्रीटमेंट किया जाता है और पेड़ को स्कैफोल्डिड और पैक करने से पहले कम से कम एक महीने के लिए छोड़ दिया जाता है.
3. फिर इसे दोबारा से 15 दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है, जब तक कि पेड़ खुद से जीवित न रहने लगें, उसके बाद ही इसे नए स्थान पर प्रत्यारोपित किया जाता है.
4. पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन की निगरानी के लिए ट्री ट्रांसप्लांटेशन सेल का गठन.
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