राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली जू) ने गुजरात के वनतारा मॉडल की तर्ज पर खुद को विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इस पहल के तहत गुजरात के वनतारा से छह सदस्यीय विशेषज्ञों का दल दिल्ली पहुंचा है, जो यहां पशु कीपरों को प्रशिक्षण दे रहा है। जानकारी के अनुसार, यह प्रशिक्षण सात दिनों तक चलेगा, जिसमें क्षमता निर्माण, वैज्ञानिक प्रबंधन, पशुओं के प्रजनन से जुड़ी तकनीकी जानकारी और परामर्श दिया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य चिड़ियाघर के प्रबंधन को अधिक वैज्ञानिक और आधुनिक बनाना है।

हालांकि, कुछ कीपरों ने इस प्रशिक्षण का विरोध किया है। उनका कहना है कि वनतारा की कार्यप्रणाली और दिल्ली के चिड़ियाघर की परिस्थितियों में काफी अंतर है, इसलिए उसी मॉडल को यहां लागू करना व्यावहारिक नहीं होगा।

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली जू) में वनतारा मॉडल (जीजेडआरआरसी – Greens Zoological Rescue and Research Centre) के तहत विकास की योजना को आगे बढ़ा दिया गया है। अधिकारियों के अनुसार, चिड़ियाघर का प्रबंधन जल्द ही सोसायटी के जिम्मे सौंपा जाएगा, और इसके साथ ही देश की एक नामचीन कंपनी भी इसे संभाल सकती है। वनतारा और चिड़ियाघर प्रबंधन ने संयुक्त रूप से काम करना शुरू कर दिया है, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित पहल शामिल हैं:

वन्यजीवों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार

विभिन्न प्रजातियों के आदान-प्रदान और संरक्षण तकनीकों का क्रियान्वयन

प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से स्टाफ की दक्षता बढ़ाना

अधिकारियों का कहना है कि इस पहल के बाद चिड़ियाघर का पुराना स्वरूप बदलकर एक आधुनिक, वैज्ञानिक और दर्शक अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा। आने वाले समय में दर्शकों को अधिक व्यवस्थित, साफ-सुथरा और तकनीकी रूप से उन्नत चिड़ियाघर देखने को मिलेगा, जहां न केवल मनोरंजन बल्कि शिक्षा और संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाएगा।

वनतारा टीम का चिड़ियाघर कर्मचारियों ने किया विरोध

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में वनतारा मॉडल के तहत प्रशिक्षण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रशिक्षण में शामिल एक सूत्र ने बताया कि गुजरात से आए विशेषज्ञों की टीम अचानक पहुंची, जिससे चिड़ियाघर के कई कर्मचारियों ने इस प्रशिक्षण का बहिष्कार किया। जानकारी के अनुसार, हाल ही में भर्ती हुए एमटीएस (मल्टी टास्किंग स्टाफ) कर्मचारियों ने दावा किया कि उनकी कार्य सूची में जानवरों से संबंधित कोई जिम्मेदारी शामिल नहीं है, बावजूद इसके उन्हें खतरनाक वन्यजीवों के साथ कार्य करने के लिए तैनात किया जा रहा है। इस मामले को चिड़ियाघर प्रबंधन को पहले ही सूचित किया जा चुका है।

वहीं, पुराने कर्मचारियों ने भी प्रशिक्षण और नई तैनाती का विरोध किया। उनका कहना है कि चिड़ियाघर जल्द ही सोसायटी के जिम्मे सौंपा जा सकता है, और इस बदलाव को लेकर निदेशक के पास एक सुधार फाइल पेंडिंग है, जिसके निर्णय के बाद कर्मचारियों की जिम्मेदारियों और प्रशिक्षण प्रक्रिया में स्पष्टता आएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य चिड़ियाघर के विज्ञान आधारित प्रबंधन और वन्यजीव कल्याण को बेहतर बनाना है, लेकिन कर्मचारियों की सुरक्षा और उनकी भूमिकाओं को ध्यान में रखते हुए ही इसे लागू किया जाएगा।

30 अक्टूबर के बाद से खुलेगा चिड़ियाघर

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली जू) ने आधिकारिक घोषणा की है कि चिड़ियाघर 30 अक्टूबर के बाद फिर से खुल जाएगा। प्रबंधन ने बताया कि वर्तमान में कोई सक्रिय एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) वायरस मौजूद नहीं है। हालांकि, एहतियात के तौर पर दो और निगरानी नमूने लिए जाएंगे, और उनके नतीजों के आधार पर ही आगंतुकों के लिए पूरी तरह से खोलने का निर्णय लिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, बीट नंबर 12 में स्थित पक्षी बाड़े और आसपास के तालाबों में पाए गए प्रवासी पक्षियों की जांच में कोई नया संक्रमण नहीं मिला है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भोपाल भेजे गए अंतिम नमूने भी नकारात्मक आए हैं, और अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।

इससे पहले, अगस्त 2025 के अंत में बर्ड फ्लू के कारण चिड़ियाघर को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था। उस दौरान दो पेंटेड स्टॉर्क की मौत के बाद चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू फैलने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद लगभग 12 अन्य पक्षियों की मौत हुई थी, जिनमें छह पेंटेड स्टॉर्क, दो ब्लैक-हेडेड आइबिस और चार प्रवासी पेंटेड स्टॉर्क शामिल थे। चिड़ियाघर प्रबंधन ने आगंतुकों से अपील की है कि खुलने के बाद भी सभी सुरक्षा और स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का पालन करें, ताकि पक्षियों और लोगों की सुरक्षा बनी रहे।

डॉ. संजीत कुमार, निदेशक, दिल्ली राष्ट्रीय प्राणी उद्यान ने बताया कि वन्यजीव और चिड़ियाघर के बेहतर प्रबंधन के लिए कर्मचारियों के ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को लगातार बढ़ाना आवश्यक है। इसके तहत नियमित क्षमता निर्माण (Capacity Building) कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

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