पिछले एक दशक में जुलाई का महीना दिल्ली के लिए सबसे स्वच्छ रहा, जहां औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 79 दर्ज किया गया, जो 2015 के बाद का सबसे कम आंकड़ा है. हाल ही में हुई रुक-रुक कर बारिश ने दिल्ली की वायु को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे पूरे सप्ताह के दौरान वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला है. AQI में सुधार के पीछे बारिश का एक महत्वपूर्ण कारण है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पिछले दस वर्षों में जुलाई का महीना सबसे अधिक स्वच्छ रहा. लगातार हो रही बारिश के कारण वायु गुणवत्ता में सुधार होता रहा, जिससे दिल्ली की हवा ने पिछले एक दशक के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.

बीते सालों में जुलाई के महीने में दिल्ली की हवा

बीते वर्षों में जुलाई के दौरान दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) विभिन्न स्तरों पर रहा है. 2015 में यह 138.13, 2016 में 145.64, 2017 में 98.39, 2018 में 103.83, 2019 में 134, 2020 में 83.80, 2021 में 110.06, 2022 में 87.29, 2023 में 83.67, 2024 में 96 और 2025 में 79 दर्ज किया गया है. यह 2025 का AQI पिछले वर्षों की तुलना में सबसे कम है, जो वायु गुणवत्ता में सुधार का संकेत देता है.

सामान्य से अधिक हुई बारिश

जुलाई महीने में बारिश की मात्रा औसत से अधिक रही है, और शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार वर्षा हो रही है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आज दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में तेज बारिश की संभावना जताई है. इसके साथ ही, 31 जुलाई को बारिश के लिए यलो अलर्ट भी जारी किया गया है.

AQI कितना बेहतर

दिल्ली और एनसीआर में लगातार बारिश के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार हुआ है. जुलाई महीने में औसत AQI 79 दर्ज किया गया, जो 2015 के बाद से सबसे कम है. यह AQI संतोषजनक श्रेणी में आता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, AQI को 0 से 50 के बीच अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है.

वायु प्रदूषण विशेषज्ञ ने क्या कहा?

विशेषज्ञ इस दावे को लेकर संदेह में हैं. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की वायु प्रदूषण विशेषज्ञ और कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने बताया कि वायु गुणवत्ता में सुधार मौसम की परिस्थितियों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान भारी बारिश के कारण प्रदूषक पानी में मिल जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर घटता है. इस वर्ष लगातार हो रही तीव्र बारिश को इस स्थिति का मुख्य कारण माना गया है.

रॉयचौधरी ने सरकार के योगदान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सीमित समय में सभी उत्सर्जन डेटा की तुलना करना संभव नहीं है. मानसून के मौसम में इस तरह के आकलन करना उचित नहीं होगा. सर्दियों के महीनों में प्रदूषण के स्तरों का विश्लेषण करना आवश्यक है, ताकि यह पता चल सके कि सरकार की पहल सही दिशा में प्रगति कर रही हैं या नहीं.

सामान्य से अधिक हुई बारिश

जुलाई में बारिश की मात्रा पहले के औसत से अधिक रही है. दिल्ली के सफदरजंग मौसम केंद्र ने बुधवार सुबह 8:30 बजे तक 220.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की, जबकि इसका लंबा अवधि का औसत 209.7 मिमी है. इसी दिन शाम 5:30 बजे तक इस केंद्र ने 15 मिमी और बारिश दर्ज की.

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश हुई. पालम मौसम केंद्र ने बुधवार सुबह 8:30 बजे तक पिछले 24 घंटों में 4.6 मिमी और सुबह 8:30 से शाम 5:30 बजे के बीच 28.3 मिमी बारिश रिकॉर्ड की. इसी समय में पूसा स्टेशन पर क्रमशः 37.5 मिमी और 12.5 मिमी बारिश हुई, जबकि जनकपुरी स्टेशन में देर दोपहर 11.5 मिमी बारिश हुई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के एक अधिकारी के अनुसार, गुरुवार को भी हल्की से मध्यम बारिश की संभावना बनी रहेगी, जबकि शुक्रवार से बहुत हल्की से हल्की बारिश, गरज और बिजली गिरने की घटनाएं देखी जा सकती हैं.