रायपुर। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से पिछले कुछ महीनों में लगातार सामाजिक बहिष्कार की घटनाएं सामने आई हैं. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि विभिन्न कारणों से 203 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार प्रदेशभर में किया गया है और वो भी इन 2 महीनों में. इधर स्थानीय स्तर पर शिकायत दर्ज करने के बावजूद पीड़ितों को कोई राहत नहीं मिल पाई और वे गांव में कई परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं.
बने कड़ा कानूनः डॉ दिनेश मिश्र
डॉ दिनेश मिश्र ने अंधविश्वास और सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ एक कड़ा कानून बनाए जाने की जरूरत बताई. उन्होंने बताया कि धमतरी के बेलरगांव, भोथली, दुलगी, नगरी, बिरगुड़ी के 200 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया. इन परिवारों पर कई प्रतिबंध लगा दिए गए, जिससे इनका जीना मुहाल हो गया है. वहीं बिलासपुर के बिनौरी गांव में भी एक परिवार के सामाजिक बहिष्कार का मामला सामने आया है. इस परिवार को फरमान जारी किया गया है कि जब तक वो जुर्माना और सामाजिक भोज नहीं देगा, तब तक उसे समाज में शामिल नहीं किया जाएगा.
कुरूद के कोकड़ी गांव में भी पूर्व सरपंच गोपेश्वर साहू को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया. बालोद में एक परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया. पीड़ित ग्रामीणों ने बताया कि उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है, जिससे उन्हें गांव में काम मिलना बंद हो गया है. उन पर पशु चराने, मजदूरी, शादी और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने पर रोक लगा दी गई है. वहीं कोई उनके परिवार से बातचीत भी नहीं करता है.
पुलिस-प्रशासन करे कड़ी कार्रवाईः डॉ दिनेश मिश्र
डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि सामाजिक बहिष्कार मानव अधिकार के खिलाफ है. लेकिन जब पीड़ित पुलिस-प्रशासन से इन मामलों की शिकायत करते हैं तो उन्हें पूरा सहयोग नहीं मिल पाता है. इसलिए प्रशासन को इन मामलों पर संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.