नई दिल्ली। भारत के नए मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा बन गए है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के 45वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ दिलाई. उन्होंने न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की जगह ली.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा कई ऐतिहासिक फैसलों के साथ जुड़े रहे हैं. खास तौर पर मुबंई बम धमाके के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा की सुनवाई, निर्भया बलत्कारकांड मामले में फांसी की सजा बरकार के मामले में, सिनेमाघरों में राष्ट्रगान लागू करने को लेकर.
राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में सोमवार सुबह आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद न्यायमूर्ति मिश्रा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. उनका कार्यकाल तीन अक्टूबर 2018 को समाप्त होगा. वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर रविवार को सेवानिवृत्त हो गए. हालांकि शनिवार और रविवार को उच्चतम न्यायालय की छुट्टी रहने के कारण अदालत कक्ष में उनका शुक्रवार को ही अंतिम दिन रहा.
न्यायमूर्ति मिश्रा भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले ओडिशा की तीसरे न्यायाधीश होंगे. उनसे पहले ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति जीबी पटनायक भी इस पद को सुशोभित कर चुके हैं. न्यायमूर्ति मिश्रा याकूब मेमन पर दिए गए फैसले के कारण काफी सुर्खियों में रहे थे. उन्होंने रात भर सुनवाई करते हुए याकूब की फांसी पर रोक लगाने संबंधी याचिका निरस्त कर दी थी.
वह पटना और दिल्ली उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं. तीन अक्टूबर 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 फरवरी 1996 को ओड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था. 3 मार्च 1997 को उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया. उसी साल 19 दिसंबर को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी.
चार दिन बाद 23 दिसंबर 2००9 को उन्हें पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और 24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. वहां रहते हुए उन्होंने पांच हजार से ज्यादा मामलों में फैसले सुनाये और लोक अदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के प्रयास किये. उन्हें 1० अक्टूबर 2०11 को पदोन्नत करके उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था.
न्यायमूर्ति मिश्रा ने ही देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के आदेश जारी किए थे.