रायपुर। गुटखा व पान मसाला के दर्जनभर से ज्यादा सैंपल जांच में फेल होने के बाद भी खाद्य एवं सुरक्षा विभाग इसकी बिक्री पर रोक लगाने में नकारा साबित हो रहा है. राजधानी रायपुर से लेकर प्रदेश के गांव-देहात तक इन गुटखों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है.
एक तरफ प्रदेश की सरकार बच्चों और महिलाओं के कुपोषित होने की बात कहते हुए तमाम विरोध के बावजूद अंडा खिलाने में तुली हुई है, वहीं दूसरी ओर उसी सरकार का एक हिस्सा खतरनाक गुटखे से खतरे में पड़ रही जिंदगियों को नजरअंदाज कर रहा है. गुटखे की बिक्री पर जब प्रतिबंध की बात आती है तो जिम्मेदार अधिकारी सीधा पल्ला झाड़ कहने लगते हैं कि इस संबंध में शासन को पत्र लिखा गया है, लेकिन कार्रवाई कब होगी, इसका जबाव किसी के पास नहीं है.
बताना होगा कि लल्लूराम डॉट कॉम ने 7 अक्टूबर को प्रकाशित खबर में प्रदेश में बिकने वाले तमाम पान मसाले की सरकार ने पिछले वर्ष शासकीय प्रयोगशाला में जांच करवाई थी, जिसमें रजनीगंधा, राजश्री, विमल, पान पराग जैसे बड़े पान मसाला ब्रांड में जानलेवा मैग्नीशियम कार्बोनेट रसायन मिलने की पुष्टि हुई थी. सरकारी सूत्र ने इन सभी पान मसालों को सेहत के लिए हानिकारक बताते हुए प्रदेश में प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही थी, जो आज तक हकीकत में नहीं बदल सका है.
इस संबंध में रायपुर में पदस्थ खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के आयुक्त एसएन राठौर ने समाचार पत्र से चर्चा में कहा है कि गुटखा व पान मसाला के सैंपल में मैग्नीशियम कार्बोनेट पाया गया है. हमारे पास जब्ती करने या बिक्री को रोकने का अधिकार नहीं है, इसलिए हमने शासन को इस संबंध में पत्र लिखा है. वहां निर्देश मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. जिम्मेदार अधिकारी के बयान से उसकी लाचारी को समझा जा सकता है.
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