कुंदन कुमार /पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा लगाए गए आरोपों पर अपनी सफाई दी है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि विजय सिन्हा का नाम वोटर लिस्ट में अवैध रूप से डाला गया है, जबकि उनका नाम खुद हटाने का अनुरोध पहले ही चुनाव आयोग से किया गया था। इसके जवाब में विजय सिन्हा ने साफ किया कि उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाने के लिए पहले भी आवेदन दिया गया था, और इसके बाद भी जब उन्हें पता चला कि नए वोटर लिस्ट में उनका नाम शामिल कर लिया गया है, तो उन्होंने 5 अगस्त को फिर से आवेदन किया था।


विजय सिन्हा ने कहा, मैंने पहले भी अपने नाम को वोटर लिस्ट से हटाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन जब मुझे यह जानकारी मिली कि नया वोटर लिस्ट जारी होने पर भी मेरा नाम उसमें शामिल किया गया है, तो मैंने 5 अगस्त को फिर से आवेदन किया। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि चुनाव आयोग और बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की ओर से इस प्रक्रिया में कोई गलती हुई है या नहीं। इस पर उन्होंने चुप्पी साधी और किसी प्रकार का कोई प्रतिवाद नहीं किया।

पहले कोई आवेदन नहीं भरा था

वहीं, उनके वकील ने बताया कि बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित उनके बूथ पर उन्होंने पहले कोई आवेदन नहीं भरा था। उनका कहना था, “बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में बूथ पर नाम शामिल करने के लिए मैंने पहले कोई आवेदन नहीं किया था, लेकिन बाद में जब मुझे पता चला कि मेरा नाम वोटर लिस्ट में शामिल हो गया है, तो मैंने दोबारा आवेदन भरकर उसे हटाने के लिए फार्म जमा किया।” वकील का कहना था कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से सही थी, और उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला चुनावी प्रक्रिया के अंतर्गत ही है।

गड़बड़ी को छिपाने की कोशिश

इस पर तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि उपमुख्यमंत्री का यह दावा पूरी तरह से अव्यवस्थित है और गड़बड़ी को छिपाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री ने जानबूझकर अपने नाम को वोटर लिस्ट में शामिल करवाया और अब इसे हटाने की प्रक्रिया को लेकर झूठ बोल रहे हैं।

चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल

इस विवाद ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि यदि किसी व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं होना चाहिए, तो उसे तुरंत हटाया जाना चाहिए था। ऐसे में इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल मचा दी है। यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

चुनाव आयोग के जवाब का लोगो को इंतजार

यह विवाद आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी या किसी विशेष व्यक्ति के नाम का अवैध तरीके से शामिल होना जनता के बीच अविश्वास पैदा कर सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और चुनाव आयोग इस मामले में क्या प्रतिक्रिया देता है।

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