शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश में आखिर कौन मुख्यमंत्री होगा इस सवाल का जवाब कुछ ही घंटे बाद सबके सामने होगा। लेकिन, इससे ठीक पहले प्रदेश के सियासी गलियारों में अब डिप्टी सीएम को लेकर भी चर्चाओं का माहौल गर्म होने लगा है। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में डिप्टी सीएम के फार्मूले को लागू करने के बाद मध्यप्रदेश में भी उप मुख्यमंत्री पद के कयास लगाए जा रहे हैं। 

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दरअसल, प्रदेश में सीएम पद की दौड़ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम शामिल हैं। ऐसे में कई बड़े चेहरों को डिप्टी सीएम पद से नवाज कर संतुष्ट किया जा सकता है। अंदरखाने की खबर यह भी है कि बीजेपी इस बार पांच साल नहीं बल्कि आने वाले 15 सालों के लिए बड़े चेहरे का पावरफुल नेतृत्व की तैयारी में है। लिहाजा सीएम के पद के विकल्प के लिए भी डिप्टी सीएम का गणित बिठाया जा सकता है। ताकि जनता के सामने सत्ता और संगठन में जाना माना चेहरा सामने लाया जा सके।

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 डिप्टी सीएम के फार्मूला के साथ जातिगत और क्षेत्रवार समीकरणों को साधने की भी कवायद की जा सकती है। इसका सीधा फायदा न सिर्फ संगठन की मजबूती बल्कि करीब पांच माह बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में भी मिलेगा। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यदि डिप्टी सीएम पद पर बीजेपी ने पहले दांव खेला होता तो बीजेपी को वर्तमान में पर्यवेक्षक से रायशुमारी की स्थिति नहीं बनती। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि बीजेपी में सिंधिया खेमे की एंट्री के बाद फुल फ्लैश हुए चुनावों के परिणाम के साथ डिप्टी सीएम, मंत्रिमंडल के साथ संगठन स्तर पर भी बदलाव संभव है। 

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खबर यह भी है कि संघ ने भी डिप्टी सीएम के फार्मूले को हरी झंडी दी है। ताकि बीजेपी की नेतृत्व क्षमता को बढ़ाया जा सके। मामले पर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सतेंद्र जैन का कहना है कि यह संगठन स्तर का निर्णय है। संगठन आपसी सहमति के बाद ऐसे निर्णय लेता है। उधर, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने दावा किया कि मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम बीजेपी की मजबूती है। यदि डिप्टी सीएम का पद न दिया गया तो बीजेपी की सीएम पद को लेकर अंदरूनी तौर पर बगावत सबके सामने होते देर नहीं लगेगी।

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