ललित ठाकुर, राजनांदगांव. नगर निगम राजनांदगांव में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार ने शहर में करोड़ों रुपए की लागत से लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अमृत मिशन योजना तो बना दी, लेकिन करोड़ रुपर खर्च के बावजूद शहर के अधिकतर वार्डों में लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है, जिसके चलते लोगों को डायरिया और पीलिया की शिकायतें सामने आई है। वहीं नगर निगम के कर्मचारियों ने पानी का सैंपल भी लिया है। नागरिकों ने भी साफ कहा है कि यदि समस्या का तुरंत समाधान नहीं किया गया तो वे निगम कार्यालय का घेराव करने बाध्य होंगे।
राजनांदगांव नगर निगम क्षेत्र के राजीव नगर वार्ड क्रमांक 42 और 43 में पिछले कई दिनों से गंदे एवं दूषित पानी की सप्लाई जारी है, जिसके कारण वार्डवासियों में भारी आक्रोश है। समस्या बढ़ने पर पूर्व पार्षद ऋषि शास्त्री एवं मितानिन बहनों ने घर-घर जाकर नागरिकों से मुलाकात की, स्वास्थ्य जोखिमों की जानकारी दी और नगर निगम आयुक्त को शिकायत पत्र सौंपकर समस्या का त्वरित समाधान करने की मांग की।


पानी में क्लोरीन की मात्रा अत्यंत कम, बढ़ रही बीमारियां
स्थानीय नागरिकों ने कहा कि दूषित पानी के कारण पीलिया, खुजली, पेट एवं वायरल संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। कई लोग इलाज करवा रहे हैं। स्थिति गंभीर एवं जनस्वास्थ्य से जुड़ी होने पर नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और सर्वे प्रारंभ किया। जांच में सप्लाई पानी में क्लोरीन की मात्रा अत्यंत कम पाई गई, जिसके बाद अन्य नमूने जांच के लिए लैब भेजे गए।
साफ पानी नहीं मिलने पर करेंगे उग्र आंदोलन – पूर्व पार्षद
पूर्व पार्षद ऋषि शास्त्री ने कहा कि अमृत मिशन के तहत ठेका मिलने के बावजूद कंपनी पिछले 15 दिनों से मेंटेनेंस बंद किए हुए है। यह सीधे-सीधे लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। प्रशासन जवाबदेह बने और जनता को बीमारी देने वाले ठेकेदारों पर तुरंत एफआईआर दर्ज हो। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि स्वच्छ पीने का पानी तत्काल उपलब्ध नहीं कराया गया और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वार्डवासियों के साथ मिलकर उग्र जनआंदोलन किया जाएगा। वहीं इस पूरे मामले में निगम के कर्मचारी सफाई देते नजर आए।
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