शब्बीर अहमद, भोपाल। देश में भले ही पब्जी गेम पर प्रतिबंध लगा हो, लेकिन बावजूद इसके भी प्ले स्टोर पर पब्जी से मिलते जुलते बढ़ी संख्या में गेम मौजूद हैं. जिसके कारण बच्चों को इसकी आदत पड़ती जा रही है और इसी एडिक्शन के कारण कई जगह बच्चों की मौत के मामले भी सामने आ चुके हैं. साइबर एक्सपर्ट का तो यहां तक मानना है कि बच्चे अलग-अलग सर्वर के जरिए पब्जी पर बैन के बाद भी उस तक पहुंच रहे हैं.

24 घंटे में 2 घटनाओं से बड़ी चिंता

पिछले एक हफ्ते में प्रदेश में दो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसने एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है कि बच्चों को गेम से कैसे दूर रखा जाए. पहला मामला खंडवा के सनावद में सामने आया था. जहां एक युवक डॉक्टर की मौजूदगी में बेसुद है और वो इस दौरान गेम खेलने का निर्देश दे रहा है तो, वहीं दूसरी घटना देवास मे सामने आई है. जहां एक 10वीं में पढ़ने वाले छात्र की पब्जी खेलने के दौरान मौत हो गई. परिजनों की माने तो वो गैम खेलने का आदी हो गया था. मौत के कुछ देर पहले भी वो गेम खेल रहा था. कुछ देर बाद परिजन ने किसी काम के लिए उसे आवाज दी तो दीपक ने कोई जवाब नहीं दिया, जाकर देखा तो वो बिस्तर पर गिरा हुआ था.

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कैसे रोके बच्चों को

एक्सपर्ट की माने तो बच्चों को गेम खेलने से रोकना होगा. इससे उन्हें बचाने के लिए अकेले नहीं छोड़ना चाहिए. साथ ही ऑनलाइन क्लासेस के बाद बच्चों से मोबाइल वापस लेना चाहिए. बीच-बीच में मोबाइल की हिस्ट्री भी चेक करना चाहिए. माता-पिता को ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों को दें और उसके साथ दोस्त की तरह बर्ताव करेंगे.

चीन मे समय तय, बांग्लादेश में रोक

भारत में ऑनलाइन गेम खेलने को लेकर कोई विशेष गाइडलाइन नहीं है, लेकिन पब्जी गेम बनाने वाले देश चीन ने बच्चों को गेम से दूर रखने के लिए सख्त गाइडलाइन बनाई. जिसके बाद 18 साल के कम उम्र वाले बच्चे हफ्ते में सिर्फ तीन घंटे ऑनलाइन गेम खेल सकते हैं. बंग्लादेश में कोर्ट के आदेश के बाद पब्जी और फ्री फायर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन भारत में कोई गाइडलाइन नहीं है. जल्द केन्द्र और राज्य सरकार को इसको लेकर सख्ती बरतना चाहिए.

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