Devshayani Ekadashi 2024 : रायपुर. देवशयनी एकादशी बुधवार को मनाई जाएगी. इस दिन से चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश आदि बंद हो जाएंगे. भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में रहेंगे. अतः मांगलिक कार्यों में उपस्थित नहीं होते हैं ऐसी मान्यता है. चातुर्मास भी आरंभ हो जाएंगे ऐसे में भी भगवान विष्णु की आराधना होगी. इन दिनों में अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करने के साथ विष्णुजी, शिवजी, श्रीकृष्ण आदि भगवानों के ग्रंथों का पाठ करें. तामसिक भोजन नहीं करें और दिन में नींद नहीं ले. वहीं दीपावली पर्व के बाद 12 नवम्बर को देवप्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य फिर आरंभ हो जाएंगे.
पाल बालाजी संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष चातुर्मास 118 दिनों का रहेगा. इस वर्ष 30 दिन कम रहने के चार माह का चातुर्मास रहेगा. इस कारण सभी बड़े त्योहार 10 से 11 दिन पहले आ रहे हैं. चातुर्मास के दौरान रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा और दीपावली जैसे बड़े त्योहार हैं. चातुर्मास का पहला महीना सावन भगवान शिव और विष्णु को समर्पित होता है.
दूसरा भाद्रपद जिसमें गणेश चतुर्थी और जन्माष्टमी आते हैं. तीसरा अश्विन होता है जिसमें शारदीय नवरात्र और दशहरा मनाया जाता है. चौथा महीना कार्तिक होता है जिसमें दीपावली आती है.
ठाकुरजी धारण करेंगे नटवर पोशाक (Devshayani Ekadashi 2024)
आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में सुबह मंगला झांकी के बाद ठाकुरजी को पंचामृत स्नान कराकर लाल रंग की नवीन नटवर पोशाक धारण कराकर गोचारण लीला के आभूषण पहनाए जाएंगे. ग्वाल झांकी के बाद 4.45 बजे से 5.35 बजे तक देवशयनी पूजन होगा. इस दौरान ठाकुरजी के दर्शन के पट बंद रहेंगे. मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शालिग्राम भगवान को चांदी के रथ में विराजमान कर दक्षिण पश्चिम कोने स्थित तुलसा मंच ले जाएगा.
महंत अंजन कुमार गोस्वामी की मौजूदगी में शालिग्राम जी का अभिषेक कर पूजा, भोग, आरती के बाद महंत शालिग्रामजी और तुलसी महारानी की चार परिक्रमा करेंगे. भगवान को चांदी के खाट पर शयन कराकर मंदिर की परिक्रमा कर गर्भगृह में शयन का भाव कराया जाएगा. एकादशी पर ठाकुरजी को बिजौना दाल, पंच मेवा और फलों का भोग अर्पित किया जाएगा.
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