प्रदीप मालवीय, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भ गृह में विराजित भगवान भोलेनाथ (महादेव) को वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा पर भस्म आरती के बाद 11 नदियों के जल से भरी हुई 11 मटकियां बांधी गई, जो महाकाल को शीतलता प्रदान करेगी। भगवान महाकालेश्वर कैलाश निवासी है। ऐसे में गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए दो माह भक्त इस तरह का जतन करते है। इसी प्रकार तेज ठंड में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा निभाई जाती है।

बाबा महाकाल को गर्मी से बचाने के लिए उनके ऊपर अब ठंडे जल की धारा प्रवाहित की जा रही हैं। उन्हें गर्मी नहीं लगे इसके लिए वैशाख कृष्ण प्रतिपदा आज से मंदिर के पंडित और पुजारी ने मिलकर ठंडे पानी की गलंतिका शिवलिंग के ऊपर बांधी। इससे लगातार पानी शिवलिंग पर गिरता रहेगा। खास बात ये है कि बाबा महाकाल के शिवलिंग के ऊपर जो मटकियां लगाई गयी। उसमें 11 नदियों का जल शामिल किया गया है। बता दें इन मटकियों पर गंगा, यमुना, गोदावरी सहित अन्य नदियों के नाम लिखे गए है। मान्यता है कि भगवान महाकाल (महादेव) इससे तृप्त होकर राष्ट्र और प्रजा के कल्याण के लिए सुख-समृद्धि प्रदान करते है।

पुराणों में मंगल ग्रह का जन्म स्थान उज्जैन

पुराणों के अनुसार मंगल ग्रह का जन्म स्थान उज्जैन में माना गया है। इसलिए मंगल ग्रह की शांति के लिए यथा संभव अंगारेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा फलदायी मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पूजा से मंगल ग्रह दोष की शांति होती है। उज्जैन के क्षिप्रा तट स्थित अंगारेश्वर महादेव मंदिर पर एक श्रद्धालु ने 11 किलो चांदी की जलाहरी अर्पित की है। श्री अंगारेश्वर महादेव ही भूमि पुत्र मंगल है। अवंतिका के प्राचीन 84 महादेवों में स्थित 43 वें महादेव श्री अंगारेश्वर महादेव जो कि सिद्धवट (वटवृक्ष) के सामने क्षिप्रा के उस पार स्थित है, जिन्हें मंगल देव (गृह) भी कहा जाता है।

माना जाता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन इस महालिंग श्री अंगारेश्वर का दर्शन करेगा उनका फिर जन्म नहीं होगा। जो इस लिंग का पूजन मंगलवार को करेगा वह इस युग में कृतार्थ हो जाएगा। जो मंगलवार कि चतुर्थी के दिन अंगारेश्वर का दर्शन-व्रत-पूजन करेंगे वह संतान, धन, भूमि, सम्पत्ति, यश को प्राप्त करेगा। इनके दर्शन-पूजन से वास्तुदोष, भूमिदोष का भी निवारण होता है। न्यायालय में विजय प्राप्त होती है। इस लिंग पर भात पूजन करने से मंगल दोष, भूमि दोष का भी निवारण होता है।

पुजारी मनीष उपाध्याय ने बताया कि अंगारेश्वर महादेव मंगल के देवता है और मंगल को शांत करने के लिए ठंडी वस्तुएं ही भगवान को अर्पित की जाती है। इसलिए यहां भात पूजा भी की जाती है। चांदी की तासीर भी ठंडी होती है इसलिए श्रद्धालु द्वारा चांदी की जलाहरी भगवान अंगारेश्वर को अर्पित की गई है।

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